गन्ने का रिकॉर्ड भुगतानउत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए योगी सरकार ने एक बेहतर मिसाल कायम किया है. दरअसल, आजादी के बाद से रिकॉर्ड भुगतान के साथ यूपी सरकार ने प्रदेश के करीब 65 लाख किसानों के हित में बेहद शानदार काम किया है. अत्याधुनिक तकनीक वाली नई मिलों की स्थापना, पुरानी मिलों का क्षमता विस्तार, नियमों को सरल कर खांडसारी इकाइयों को प्रोत्साहन देने के अलावा इथेनॉल उत्पादन आदि में सरकार के काम उल्लेखनीय रहे हैं. इन प्रयासों के नाते किसानों की आय तो बढ़ी ही है साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं.
यही वजह है कि आठ साल पहले जो किसान गन्ने की खेती से किनारा कर रहे थे वे गन्ने की खेती की ओर आकर्षित हुए हैं. इस दौरान गन्ने का रकबा 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है. यही नहीं इस दौरान गन्ने की उत्पादकता में भी करीब 28 फीसदी की वृद्धि हुई है.
उत्तर प्रदेश के करीब 65 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं. किसानों की इतनी बड़ी संख्या के नाते गन्ने से जुड़े मुद्दे खासकर पेमेंट, मिलों का संचालन आदि मुद्दे बेहद संवेदनशील रहे हैं. खासकर प्रमुख गन्ना उत्पादक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो कई लोगों की राजनीति की बुनियाद ही गन्ना और इससे जुड़े मुद्दे रहे हैं.
फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करते हुए अपने अब तक के कार्यकाल में रिकॉर्ड भुगतान की है. यह भुगतान बसपा और सपा के 10 साल के कार्यकाल से कहीं अधिक है. 2007 से 2017 यानी दस साल के बसपा और सपा की सरकारों ने गन्ना किसानों को 142879 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जबकि 2017 से लेकर अक्टूबर 2025 तक योगी सरकार गन्ना किसानों को 290225 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है. करीब आठ वर्षों के दौरान किया गया यह भुगतान पूर्व की दोनों सरकारों के दस वर्ष के भुगतान की तुलना में करीब 203 फीसदी अधिक है. ऐसे में यह आजादी के बाद से अब तक का रिकॉर्ड भुगतान है.
योगी सरकार अपने अब तक के कार्यकाल में चार बार गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ा चुकी है. हाल में की गई वृद्धि के बाद पेराई सत्र 2025/2026 के किए अगेती और सामान्य प्रजातियों का प्रति क्विंटल कीमत लगभग 400 और 390 रुपये है. दोनों किस्मों के दाम में प्रति क्विंटल की वृद्धि 30 रुपए है. इससे पहले कि सरकारों ने गन्ना किसानों के हितों की बिना फिक्र किए 21 सहकारी चीनी मिलों को कौड़ियों के दाम अपने चहेते उद्योगपतियों को बेच दिया था. इसके अलावा 19 मिलों को बंद भी कर दिया गया था.
इसके उलट मुख्यमंत्री योगी के कार्यकाल में पिपराइच, मुंडेरवा और रमाला सहित चार अत्याधुनिक और एकीकृत नई मिलें लगीं हैं. वहीं, बंद मिलों में से छह को फिर से चालू कराया गया है, और 42 मिलों की पेराई क्षमता में वृद्धि की गई है. अभी ये सिलसिला जारी है. बची मिलों का भी आधुनिकीकरण कर क्षमता विस्तार की योजना तैयार है. सरकार की इन्वेस्टर्स फ्रेंडली नीतियों के कारण इस क्षेत्र में आया करीब 1200 करोड़ रुपये की इसमें अहम भूमिका होगी. इसके अलावा पर्ची एक बड़ी समस्या थी. इस पर गन्ना माफियाओं का कब्जा था. ऐसे में इसको तकनीक और गन्ना उत्पादक किसानों की खतौनी से जोड़कर माफियाओं के तीन लाख सट्टे खत्म कर उनकी कमर तोड़ दी गई है. अब किसानों के पास सीधे उनके एसएमएस पर पर्ची जाती है.
मुख्यमंत्री का साफ निर्देश है कि जब तक खेत में किसान का गन्ना है तब तक मिलें चलनी चाहिए. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान जब देश की आधी से अधिक मिलें बंद हो गई थीं, तब कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए प्रदेश की सभी 119 मिलों को चलाया गया. यही नहीं इन मिलों ने कोरोना के जंग में सबसे प्रभावशाली हथियारों में से एक सैनिटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन किया, तब प्रदेश की जरूरतों के बाद इनकी आपूर्ति 20 अन्य राज्यों और विदेशों में भी की गई.
इथेनॉल का उत्पादन 41 करोड़ लीटर से भागकर 182 लीटर तक पहुंच चुका है. इस दौरान आसवनियों की संख्या 61 से बढ़कर 91 हो चुकी है. गन्ने के रस से सीधे इथेनॉल बनाने वाली पिपराइच उत्तर भारत की पहली मिल है. फिलहाल इथेनॉल के उत्पादन में भी यूपी देश में नंबर वन है.
खांडसारी इकाइयों को लगाने की प्रक्रिया को आसान कर सरकार ने किसानों को बाजार का एक नया विकल्प देने के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी मुहैया कराई है. 25 साल बाद किसी सरकार ने इस ओर ध्यान दिया. पहले किसी मिल से 15 किमी (एयर डिस्टेंस) की दूरी पर खांडसारी की इकाई लग सकती थी. योगी सरकार ने इस दूरी को आधा कर दिया है. लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाते हुए इसे ऑनलाइन कर दिया गया है. नई व्यवस्था के तहत अब 285 खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस जारी हो चुका है. इनकी कुल पेराई क्षमता आठ नई चीनी मिलों के बराबर है. इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार का एक अन्य साधन तो मिला ही, चीनी मिलों पर भी पेराई क्षमता का लोड कुछ हद तक घटा है.
सरकार के फोकस सिर्फ गन्ने के भुगतान और जिन मुद्दों का जिक्र किया गया है सिर्फ उनमें ही नहीं. सरकार गन्ने से बने गुड़ को भी प्रोत्साहन दे रही है. इसी मकसद से सरकार ने गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का एक जिला,एक उत्पाद घोषित (ओडीओपी) घोषित कर रखा है. गुड़ के गुण और इससे बनने वाले अन्य उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार लखनऊ में गुड़ महोत्सव का भी आयोजन करा चुकी है. इस सबके आधार पर कहा जा सकता है कि योगी सरकार के कार्यकाल में गांठ दर गांठ किसानों के लिए गन्ना मीठा होता गया है. करोड़ों किसानों के हित में सरकार इस मिठास को और बढ़ाने का लगातार प्रयास भी कर रही है.
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