राजस्थान में मॉनसून में हुई 70 फीसदी ज्‍यादा बारिश फिर भी सूखा! ग्‍वार और मोती बाजरा की फसलें मुरझाईं  

राजस्थान में मॉनसून में हुई 70 फीसदी ज्‍यादा बारिश फिर भी सूखा! ग्‍वार और मोती बाजरा की फसलें मुरझाईं  

जिंस के व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक पखवाड़े में राज्य के कुछ हिस्सों में हुई कम मॉनसूनी बारिश का खरीफ फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है. एक व्यापारी ने बताया कि पिछले 15-20 दिनों में राजस्थान में बहुत कम जगहों पर बारिश हुई है, जिससे किसानों में चिंताएं बढ़ गई हैं. उन्हें डर है कि अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो फसलों को और नुकसान होगा.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 19, 2025,
  • Updated Aug 19, 2025, 2:02 PM IST

राजस्थान इस समय चिंताजनक सूखे की स्थिति से जूझ रहा है. जुलाई में जहां राज्‍य में बाढ़ से हालात थे तो अगस्‍त में 15 दिनों से बारिश नहीं हुई है. इस वजह से राज्‍य के किसानों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि राज्य में जरूरी बुनियादी सिंचाई ढांचे की कमी है. नहर आधारित सिंचाई प्रणालियों की कमी के कारण, राजस्थान में किसानों को हर बार मॉनसून की बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है. इस साल राज्‍य में बारिश कहीं कम हुई तो कहीं बिल्‍कुल भी नहीं हुई है. इस बार इस बारिश से खरीफ की फसलें खराब होनी शुरू हो गई हैं. 

जून, जुलाई में जमकर बरसा पानी 

मॉनसून सीजन की शानदार शुरुआत के बाद से राजस्थान लंबे समय से सूखे का सामना कर रहा है. इससे खरीफ की फसलें बर्बाद होने के कगार पर हैं. जून और जुलाई में हुई बारिश से औसत से ज्‍यादा थी लेकिन जल्द ही यह रफ्तार धीमी पड़ गई. शुरुआत में खेत बारिश के पानी से लबालब भर गए, जिससे कुछ जल्दी बोई गई फसलों को भी नुकसान भी पहुंचा. हालांकि उस अतिरिक्त पानी ने राज्य भर के प्रमुख जलाशयों और जल निकायों को भरने में मदद की. 

कम बारिश से डरे किसान 

जिंस के व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक पखवाड़े में राज्य के कुछ हिस्सों में हुई कम मॉनसूनी बारिश का खरीफ फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है. एक व्यापारी ने बताया कि पिछले 15-20 दिनों में राजस्थान में बहुत कम जगहों पर बारिश हुई है, जिससे किसानों में चिंताएं बढ़ गई हैं. उन्हें डर है कि अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो फसलों को और नुकसान होगा. बारिश की कमी से सबसे महत्वपूर्ण फसलों, ग्वार और मोती बाजरा (बाजरा) को नुकसान होने की संभावना है. राज्य ग्वार के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो देश के कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक ग्वार उगाता है. 

कई इलाकों में फसलें मुरझाईं 

कई इलाकों में स्थिति अब गंभीर हो गई है और फसलें मुरझा रही हैं. किसान सीमित सिंचाई विकल्पों के साथ अपने खेतों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कई जिलों में उपज के नुकसान का खतरा मंडराने लगा है. बारिश भले ही पहले से हुए नुकसान की पूरी भरपाई न कर पाए, लेकिन राजस्थान के कई हिस्सों में, खासकर जहां फसलें अभी भी जिंदा हैं, ये थोड़ी राहत दे सकती है. फिलहाल सभी की निगाहें आसमान पर टिकी हैं क्योंकि किसान आने वाले दिनों में मानसून की बारिश के फिर से शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं. 

आंकड़ों की अजब कहानी 

अगर बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो और ज्‍यादा हैरानी होती है. 6 अगस्त तक पश्चिमी राजस्थान में 70 फीसदी से ज्‍यादा बारिश हुई है. जबकि पूर्वी राजस्थान में तो और भी ज्‍यादा यानी 73 फीसदी से ज्‍यादा लेकिन ये आंकड़ें भी गलतफहमी पैदा करने वाले ही हैं. राज्‍य में ज्‍यादातर बारिश जून और जुलाई के शुरुआती दिनों में ही हो गई है. उसके बाद से, मौसम लगातार शुष्क बना हुआ है. बाड़मेर, जयपुर, जोधपुर, जैसी जगहों पर पिछले 15 दिनों से सूखा पड़ा है. 

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