राष्ट्रीय कमोडिटी और डेरिवेटिव एक्सचेंज (NCDEX) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है. इस समझौता ज्ञापन के संभावित लाभों पर प्रकाश डालते हुए, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि यह सहयोग कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण जलवायु पर जानकारी देगा. उन्होंने कहा कि किसान और कृषि आधारित उद्योग ऐतिहासिक मौसम डेटा का उपयोग यह आकलन करने के लिए कर सकते हैं कि क्षेत्र सूखा प्रभावित है, बाढ़ प्रभावित हैं या सामान्य वर्षा वाली जगह है.
उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के तहत बारिश को ध्यान में रखा गया है, क्योंकि बारिश कृषि अर्थव्यवस्था से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर है. इस दिशा में, आईएमडी द्वारा ऐतिहासिक डेटा भी प्रदान किया जाएगा, ताकि मॉनसून के मौसम के दौरान बारिश की जलवायु संबंधी खतरे की संभावना के संबंध में आकलन किया जा सके. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि हमारे देश में कृषि विशेष रूप से मॉनसून की बारिश पर निर्भर करती है क्योंकि इस मौसम में 70-90 प्रतिशत बारिश होती है.
उन्होंने कहा कि वास्तविक समय की वर्षा पर वे पता लगा सकते हैं कि यह जलवायु संबंधी प्रवृत्ति के अनुसार है या इसमें विचलन है. इस अनुसार, कृषि के साथ-साथ कृषि व्यवसाय और उद्योग से संबंधित कुछ निर्णय हो सकते हैं. आईएमडी महानिदेशक ने कहा कि इस जानकारी के आधार पर, कृषि में सूचित निर्णय ले सकते हैं. बता दें कि NCDEX और IMD ने 26 जून 2025 को एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे.
यह रणनीतिक गठबंधन भारत के पहले मौसम डिवाइस के लॉन्च के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार है. एक लंबे समय से प्रतीक्षित जानकारी जो किसानों को अनियमित बारिश, हीटवेव और बेमौसम मौसम की घटनाओं जैसे जलवायु संबंधी जोखिमों से बचाव में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस साझेदारी के साथ NCDEX और IMD से प्राप्त ऐतिहासिक और वास्तविक समय के डेटा का उपयोग करके वर्षा-आधारित डेरिवेटिव उत्पाद विकसित करेगा.
NCDEX के प्रबंध निदेशक और सीईओ अरुण रस्ते ने कहा कि आईएमडी के साथ यह साझेदारी कमोडिटी बाजारों में एक नए युग का द्वार खोलती है. जलवायु में हो रहे बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में मौसम की सटीक जानकारी लंबे समय से आवश्यकता रही है. जलवायु अस्थिरता के कारण किसानों की उत्पादकता और आय पर लगातार प्रभाव पड़ रहा है, ऐसे में ये उपकरण मौसम जोखिम के लिए समाधान प्रदान करते हैं.
मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि एनसीडीईएक्स ने इस नवाचार को भारत में लाने की दिशा में पहला कदम उठाया है, जिससे किसानों, व्यापारियों और यहां तक कि पर्यटन और परिवहन जैसे क्षेत्रों को जलवायु अनिश्चितता को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम बनाया जा सकेगा. यह सहयोग एफपीओ, कृषि-व्यापारियों, नीति थिंक टैंक और विश्लेषकों के लिए संयुक्त अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समर्थन करेगा. (ANI)