Rice cultivation: बीमारी और कुपोषण से बचना है तो उगाइए और खाइए चावल की ये खास किस्में

Rice cultivation: बीमारी और कुपोषण से बचना है तो उगाइए और खाइए चावल की ये खास किस्में

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पोषक युक्त अनाज की पैदावार करना भी जरूरी है, जिससे देश में कुपोषण की समस्या दूर की जा सके. कृषि संस्थानों ने अनाज में घटती पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की हैं, लेकिन इन किस्मों को लेकर किसान से लेकर उपभोक्ता तक की जागरूकता एक बड़ा प्रश्नचिह्न है. भारत जैसे चावल प्रधान देश में बायोफोर्टिफाइड चावल किस्में पोषण सुरक्षा के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती हैं.

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Rice cultivation: बीमारी और कुपोषण से बचना है तो उगाइए और खाइए चावल की ये खास किस्मेंPaddy Farming: धान की खेती

भारत में चावल दो-तिहाई आबादी का मुख्य आहार है, जिसकी औसत दैनिक खपत लगभग 220 ग्राम है. 100 ग्राम चावल में औसतन 6.8 ग्राम प्रोटीन, 0.5 ग्राम वसा, 78.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 345 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है. हालांकि, मिलिंग और पॉलिशिंग की प्रक्रिया के दौरान चावल अपने अधिकांश सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे आयरन, जिंक और विटामिन को खो देता है, जिससे यह पोषण की नजरिये से और कमजोर हो जाता है. भारत में विटामिन ए, आयरन और आयोडीन की भारी कमी है, जिसे अक्सर 'हिडन हंगर' या 'छिपी हुई भूख' कहा जाता है. गरीब और सीमित आहार संसाधनों वाले वर्ग के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर बायोफोर्टिफाइड चावल ही बेहतर स्वास्थ्य का जरिया बन सकता है.

चावल में प्रोटीन की मात्रा अन्य अनाजों जैसे गेहूं, जौ और बाजरा की तुलना में कम (7-8%) होती है. इस कारण से प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण की समस्या विशेषकर उन बच्चों में अधिक पाई जाती है, जिनका मुख्य आहार चावल है. एक शोध के अनुसार, 1960 के दशक में भारतीय चावल में प्रति किलोग्राम जिंक सांद्रता 27.1 मिलीग्राम और लोहा 59.8 मिलीग्राम था, जो साल 2000 के दशक में घटकर क्रमशः 20.6 मिलीग्राम और 43.1 मिलीग्राम हो गया. इसी तरह, गेहूं की किस्मों में भी जिंक और लोहे की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई है. आयरन शरीर के लिए एक अहम तत्व है क्योंकि यह हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है.

अनाज में घटते पोषक तत्व और बढ़ता कुपोषण

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5, 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बच्चों और महिलाओं में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण कुपोषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म पर 24.9 है, जबकि शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म पर 35.2 है. 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में, 35.5% बच्चे स्टंटिंग यानी अपनी उम्र के अनुसार कम ऊंचाई, 19.3% बच्चे वेस्टिंग और 7.7% बच्चे गंभीर वेस्टिंग से ग्रसित हैं. इसके अतिरिक्त, 32.1% बच्चों का वजन कम है और चौंकाने वाले 67.1% बच्चे एनीमिक हैं. महिलाओं की बात करें तो, 15-49 वर्ष आयु वर्ग की 57% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. मोटापे का प्रसार भी बढ़ रहा है, जहां 24% महिलाएं और 22.9% पुरुष मोटापे से ग्रसित हैं. ये आंकड़े भारत में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के व्यापक प्रभाव और कुपोषण की गंभीर चुनौती को दर्शाते हैं, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरी है.

कुपोषण से लड़ने का शस्त्र है बायोफोर्टिफाइड चावल

इस समस्या का समाधान पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को दैनिक आहार में शामिल करना है. इसी दिशा में बायोफोर्टिफाइड चावल एक वरदान सिद्ध हो सकता है. बायोफोर्टिफिकेशन का आशय प्रमुख खाद्य फसलों में अनुवांशिक सुधार के माध्यम से उनके अनाज में सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे आयरन, जिंक, प्रोटीन, जरूरी अमीनो अम्ल और विटामिन की मात्रा बढ़ाने से है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पोषक युक्त अनाज की पैदावार करना भी आवश्यक है, जिससे देश में कुपोषण की समस्या दूर की जा सके. कृषि संस्थानों ने अनाज में घटती पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की हैं, लेकिन इन किस्मों को लेकर किसान से लेकर उपभोक्ता तक की जागरूकता एक बड़ा प्रश्नचिह्न है.

भारत जैसे चावल प्रधान देश में बायोफोर्टिफाइड चावल किस्में पोषण सुरक्षा के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती हैं. इनके व्यापक प्रचार-प्रसार और उत्पादन को प्रोत्साहित करना समय की जरूरत है, जिससे समाज के गरीब, वंचित वर्ग को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व मिल सकें और कुपोषण की समस्या दूर की जा सके.

बायोफोर्टिफाइड चावल किस्मों से पोषण सुरक्षा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने उन्नत प्रजनन तकनीकों द्वारा चावल की उच्च उपज वाली किस्मों में पोषण सुधार के लिए अहम प्रयास किए हैं. इसके तहत 2015-16 से अब तक ऐसी कई उच्च उपज वाली बायोफोर्टिफाइड चावल किस्में विकसित और अधिसूचित की गई हैं, जिनमें मिल्ड राइस में जिंक की मात्रा 24 पीपीएम से अधिक और प्रोटीन 10 फीसदी से अधिक है.

बायोफोर्टिफाइड प्रमुख जिंक युक्त धान किस्में:
•    छत्तीसगढ़ जिंक राइस-1
•    डीआरआर धन-45, 48, 49, 63
•    सुरभि
•    जिन्को राइस एमएस
•    छत्तीसगढ़ जिंक राइस-2
•    सीआर धन-315
बायोफोर्टिफाइड प्रमुख प्रोटीन युक्त किस्में:
•    सीआर धन-310 (भारत की पहली उच्च प्रोटीन चावल किस्म)
•    सीआर धन-411 (स्वर्णांजलि) — 'सुपर स्वर्ण' के रूप में ओडिशा में
•    सीआर धन-311 (मुकुल) — 10.1% प्रोटीन और 20 पीपीएम जिंक
•    सीआर धन-324 (अभया पौष्टिक) — 2023 में डबल्ड हैप्लॉयड विधि से विकसित, ~11% प्रोटीन और ~23 पीपीएम जिंक

इन सभी किस्मों में ग्लूटेलिन प्रोटीन और जरूरी अमीनो अम्ल (जैसे लाइसीन) की मात्रा भी अधिक पाई गई है. ये किस्में पोषण सुरक्षा, उत्पादकता, मुनाफे और चावल की खेती की स्थिरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. बायोफोर्टिफाइड चावल इसका उद्देश्य खाद्य आपूर्ति की पोषण गुणवत्ता में सुधार लाना और जिससे लोगों का हेल्थ बेहतर हो सक. बायोफोर्टिफिकेशन एक प्रभावी रणनीति है जो फसल के अंदर ही पोषक तत्वों को बढ़ाती है, जिससे यह गरीब और दूरस क्षेत्रों तक भी पोषण पहुंचाने का एक स्थायी तरीका बन जाता है.

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