भारत के किस राज्य में सबसे अधिक होती है इसबगोल की खेती? कौन-कौन से देश में होता है निर्यात

भारत के किस राज्य में सबसे अधिक होती है इसबगोल की खेती? कौन-कौन से देश में होता है निर्यात

भारत से उत्पादन का 93 प्रतिशतइ सबगोल निर्यात किया जाता है. अमेरिका सबसे बड़ी मात्रा में खरीदता है. उसके बाद जर्मनी, इटली, यूके और कोरिया का स्थान आता है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस साल इसबगोल की कीमतें 17,000 रुपये से लेकर 15,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं.

गुजरात में इसबगोल का बंपर उत्पादन. (सांकेतिक फोटो)गुजरात में इसबगोल का बंपर उत्पादन. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 26, 2024,
  • Updated Feb 26, 2024, 5:29 PM IST

इसबगोल के उत्पादन और प्रोसेसिंग के मामले में गुजरात देश का नंबर 1 राज्य है. राज्य कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इसबगोल की बुआई का रकबा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गया है. इस साल किसानों ने लगभग 31,208 हेक्टेयर में इसबगोल की खेती की है. कहा जा रहा है कि पिछले कुछ सालों में इसबगोल की मांग काफी अधिक बढ़ गई है. विदेशों से भी इसकी डिमांड आ रही है. ऐसे में किसान इसका रकबा बढ़ाते जा रहे हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से उत्पादन का 93 प्रतिशतइ सबगोल निर्यात किया जाता है. अमेरिका सबसे बड़ी मात्रा में खरीदता है. उसके बाद जर्मनी, इटली, यूके और कोरिया का स्थान आता है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस साल इसबगोल की कीमतें 17,000 रुपये से लेकर 15,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं. पिछले छह साल में कीमतें 121 फीसदी बढ़ी हैं. उंझा में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) देश में सबसे बड़ी इसबगोल की मंडी है. उंझा एपीएमसी के अध्यक्ष दिनेश पटेल ने कहा कि इसबगोल की कीमतें ऊंची हैं. 

ये भी पढ़ें- घर में मुर्गीपालन की तकनीक सिखाएगी सरकार, कितनी होगी फीस और कैसे करें अप्लाई-यहां जानें

गुजरात में होती है सबसे अधिक प्रोसेसिंग

 देश का 90 प्रतिशत इसबगोल की प्रोसेसिंग गुजरात में होती है और पिछले पांच वर्षों में राज्य में इसका उत्पादन दोगुना हो गया है. एपीएमसी के सचिव दिनेश पटेल ने कहा कि पिछले साल कीमतें 15,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थीं और इसलिए अधिक से अधिक किसान इसे उगाना पसंद कर रहे हैं. इस क्षेत्र की अन्य महत्वपूर्ण नकदी फसल जीरा की तुलना में इस फसल को नुकसान का जोखिम भी कम है. क्योंकि आवारा मवेशी भी इसे खाना पसंद नहीं करते हैं.

इन देशों में होता है सबसे अधिक निर्यात

सचिव ने कहा कि गुजरात के उंझा क्षेत्र में लगभग 30 इसबगोल प्रसंस्करण इकाइयां है. एक बहुराष्ट्रीय समूह यहां उत्पादन का सबसे बड़ा खरीदार है. उन्होंने कहा कि राज्य में उत्पादित 85 प्रतिशत से अधिक फसल अमेरिका, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और अन्य देशों में जाती है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इसबगोल का उत्पादन 2018-19 में 6,817 मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 में 12,952 मीट्रिक टन हो गया है. खेती का क्षेत्रफल 2019 में 6,754 हेक्टेयर से बढ़कर 2024 में 31,204 हेक्टेयर हो गया है.

ये भी पढ़ें-  परवल, लहसुन की खेती ने बदली इस किसान की जिंदगी, 6 लाख से तक पहुंचा शुद्ध मुनाफा

कीमत में भी हुई बंपर बढ़ोतरी

कच्छ जिले में इसबगोल का सबसे अधिक उत्पादन होता है, जिसकी हिस्सेदारी 36 प्रतिशत है. अधिकारियों ने कहा कि फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, 2020-21 में भारत के इसबगोल के निर्यात का मूल्य 37 प्रतिशत बढ़कर 261.44 मिलियन डॉलर हो गया. वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर $300 मिलियन हो गया. इसबगोल का उपयोग आयुर्वेद, यूनानी और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों में किया जाता है. 

 

MORE NEWS

Read more!