भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 16 जुलाई 2025 को अपने 97वें स्थापना दिवस का भव्य आयोजन किया. यह दिन न केवल ICAR की शानदार उपलब्धियों और ऐतिहासिक योगदानों का उत्सव है, बल्कि भारत की कृषि को आत्मनिर्भर, तकनीक-संवलित और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है. बीते 97 वर्षों में, ICAR ने भारतीय कृषि में नवाचार, अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से अभूतपूर्व बदलाव लाए हैं, जिससे भारत खाद्य और पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है.
ICAR की स्थापना 16 जुलाई 1929 को "इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च" के रूप में की गई थी. यह संस्था अब भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत है. देश भर में इसके 113 संस्थान और 74 कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत हैं, जो इसे विश्व की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियों में से एक बनाते हैं.
आईसीएआर ने हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया है. इसके नवाचारों के परिणामस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन 1950-51 में 50.8 मिलियन टन से बढ़कर 2024-25 में 353.95 मिलियन टन हो गया है. आज भारत 149.1 मिलियन टन चावल उत्पादन के साथ विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. दूध उत्पादन में 239.3 मिलियन टन के साथ भारत पहले स्थान पर है, जबकि 117.3 मिलियन टन गेहूं उत्पादन के साथ यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. बागवानी फसलों में 367.72 मिलियन टन उत्पादन के साथ भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और मत्स्य उत्पादन में 18.42 मिलियन टन के साथ यह दुनिया में दूसरे स्थान पर है.
ICAR ने हाल ही में कई अभिनव पहलें शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य कृषि नवाचारों का तेज प्रसार करना है. आईसीएआर ने हाल ही में कृषि नवाचारों के तेजी से प्रसार के उद्देश्य से कई अभिनव पहलें शुरू की हैं, जिनमें 'वन साइंटिस्ट वन प्रोडक्ट', '100 डेज 100 वैरायटीज', '100 डेज 100 टेक्नोलॉजीज' और 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' शामिल हैं, जिससे 1.35 करोड़ किसानों को सीधे लाभ हुआ है.
साल 2024 में, ICAR ने 679 नई फसल किस्में विकसित कीं, जिनमें 27 बायोफोर्टिफाइड किस्में शामिल थीं. बासमती चावल की आईसीएआर-निर्मित 4 किस्मों से ₹50,000 करोड़ का निर्यात हुआ, जबकि गेहूं के 85% खेती क्षेत्र में आईसीएआर की जलवायु-लचीली किस्में अपनाई गईं. दाल क्रांति के अंतर्गत, दाल उत्पादन 2015-16 से 2023-24 तक 16.3 मिलियन टन से बढ़कर 24.49 मिलियन टन हो गया.
वहीं बागवानी क्षेत्र में, आईसीएआर ने 83 नई किस्में (फल: 14, सब्ज़ियां: 30, फूल: 12, मसाले: 11) विकसित कीं. इसके अलावा, 1860 नए जर्मप्लाज्म का संग्रह, 750 क्विंटल बीज उत्पादन और 22 लाख से अधिक रोपण सामग्री का वितरण किया गया. आईसीएआर ने 9 क्लीन प्लांट सेंटर स्थापित किए, 15 पेटेंट प्राप्त किए और 1,363 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए.
मत्स्य विज्ञान में, आईसीएआर ने झींगा पालन की एक उच्च उत्पादकता प्रणाली (30-40 टन/हेक्टेयर) विकसित की. इसने 7 प्रजातियों के प्रजनन प्रोटोकॉल और 5 नई मछली फ़ीड तैयार किए, साथ ही 13 न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद भी बनाए. उल्लेखनीय रूप से, भारतीय मत्स्य पालन का कार्बन फुटप्रिंट वैश्विक औसत से 31% कम पाया गया.
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के तहत, ICAR ने 40,000 नमूनों के साथ एक राष्ट्रीय मृदा स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी स्थापित की और 35 अच्छी कृषि पद्धतियां (GAP) तैयार कीं. जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए विशिष्ट पैकेज विकसित किए गए और 43 जलवायु-लचीले गांव स्थापित किए गए, जिससे मीथेन उत्सर्जन में 18% की कमी आई.
पशुधन क्षेत्र में, आईसीएआर ने 10 स्वदेशी नस्लों का पंजीकरण किया और 5 टीके व 7 नैदानिक उपकरण विकसित किए. कुल 6.11 लाख वीर्य खुराक और 14.09 लाख मुर्गी जर्मप्लाज्म वितरित किए गए. डेयरी उत्पादों के लिए स्मार्ट सेंसर और 2 नई चिकन नस्लें भी जारी की गईं.
कृषि इंजीनियरिंग में, आईसीएआर ने 45 नई मशीनें व उपकरण और 8 प्रक्रिया प्रोटोकॉल विकसित किए. कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए 301 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए.
आईसीएआर ने कृषि शिक्षा को मजबूत किया, जिसमें पीएम-ओएनओएस योजना और डीन समिति की रिपोर्ट का कार्यान्वयन शामिल है. इसने 50 अनुभवात्मक शिक्षण इकाइयां और 166 प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए. "कर्मयोगी जन सेवा" कार्यक्रम में 466 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया और आसियान फेलोशिप के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा मिला.
कृषि विस्तार के क्षेत्र में, आईसीएआर ने 0.42 लाख ऑन-फार्म परीक्षण और 2.66 लाख एफएलडी संचालित किए, जिससे 18.57 लाख किसान प्रशिक्षण से लाभान्वित हुए. 4 राज्यों में पराली जलाने में 80% की कमी आई. आईसीएआर ने 3,398 उद्यमी इकाइयां (5,472 युवाओं के साथ) और 3,093 एफपीओ को तकनीकी सहायता प्रदान की, जिससे 1.22 लाख एफपीओ सदस्य सशक्त हुए.
आईसीएआर ने आसियान, ब्रिक्स, जी20, बिम्सटेक, एससीओ और सीजीआईएआर जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सक्रिय सहयोग स्थापित किया है. ज्ञान और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए, आईसीएआर ने 50 आसियान-भारत फेलोशिप और 9 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं.
भविष्य की कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, आईसीएआर ने कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं. इनमें मिलेट्स पर ग्लोबल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, महर्षि परियोजना, क्लीन प्लांट प्रोग्राम, और दूसरा राष्ट्रीय जीन बैंक शामिल हैं. इसके साथ ही, आईसीएआर 40 फसलों के जीनोम संपादन पर काम कर रहा है ताकि जलवायु-लचीली और पौष्टिक किस्में विकसित की जा सकें.
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