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Success Story: परवल, लहसुन की खेती ने बदली इस किसान की जिंदगी, 6 लाख से तक पहुंचा शुद्ध मुनाफा

Success Story: परवल, लहसुन की खेती ने बदली इस किसान की जिंदगी, 6 लाख से तक पहुंचा शुद्ध मुनाफा

किसान शैलेंद्र सिंह प्रमुख तौर पर परवल, लहसुन और टमाटर की खेती करते हैं. इसके अलावा अन्य फसलों के रूप में आलू, खरीफ प्याज और रबी प्याज की व्यावसायिक खेती करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने औषधीय खेती के तौर पर केंवाच की खेती शुरू की है. यह एक हेक्टेयर में शुरू की गई है.

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किसान मल्चिंग विधि से लहसुन की खेती कर. कम खर्च में अधिक मुनाफा ले रहे हैं. किसान मल्चिंग विधि से लहसुन की खेती कर. कम खर्च में अधिक मुनाफा ले रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर स्थित मलवा विकास खंड के औंग गांव के किसान ने परवल और लहसुन की खेती से अपनी जिंदगी बदल ली है. इन दोनों फसलों की खेती के जरिए आज वे अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं. औंग गांव के रहने वाले किसान शैलेंद्र सिंह ने कृषि के क्षेत्र में यह सफलता आसानी से हासिल नहीं की है. इसके लिए उन्हें मेहतन भी करनी पड़ी है. औंग गांव फतेहपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर अधिकांश लोग खेती करते हैं. इनमें से ही एक किसान हैं शैलेंद्र सिंह, जिन्होंने उन्नत तरीके से उन्नत किस्मों की खेती की है. उन्हें देखकर आस-पास के किसान भी उनकी राह पर चल रहे हैं.

किसान शैलेंद्र सिंह प्रमुख तौर पर परवल, लहसुन और टमाटर की खेती करते हैं. इसके अलावा अन्य बागवानी सहायक फसलों के रूप में आलू, खरीफ प्याज और रबी प्याज की व्यावसायिक खेती करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने औषधीय खेती के तौर पर केंवाच की खेती शुरू की है. यह एक हेक्टेयर में शुरू की गई है. इसके अलावा शैलेंद्र सिंह आंशिक रूप से धान और गेहूं की भी खेती करते हैं. शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें विरासत में एक बीघा पांच बिशुआ जमीन के अलावा एक खपरैल घर मिला था. इस घर में बारिश और सर्दियों के मौसम में परिवार को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था. पिताजी की बीमारी का कर्ज सिर पर था. इसके कारण लोग उधार के पैसे मांगने पर भी नहीं देना चाहते थे. 

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प्राइवेट कंपनी में करते थे काम

शैलेंद्र बताते हैं जब उनकी उम्र 17 साल की थी, उस वक्त उनके पिताजी का देहांत हो गया. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. इसके बाद पैसे कमाने के लिए उन्हें पलायन करना पड़ा. वह पंजाब के लुधियाना चले गए. वहां पर वे एक प्राइवेट नौकरी करने लगे. उन्होंने बताया कि 12-13 घंटे दिन के काम करने के बाद उन्हें 2500 रुपये प्रति माह मिलते थे. शैलेंद्र सिंह ने सोचा कि इतनी मजदूरी करने के बाद भी पैसे कम मिलते हैं और परिवार से भी दूर रहना पड़ता है. इसके बाद वे गांव आ गए और यहां पर गाड़ी चलाने का काम करने लगे. इसके बाद 2007 में उद्यान विभाग के औद्यानिक विकास कार्यक्रम के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान जिला उद्यान अधिकारी से मुलाकात हुई. इसके बाद शैलेंद्र सिंह के जीवन में बदलाव की शुरुआत हुई. 

जी-282 लहसुन की किस्म से लाभ

इसके बाद उन्हें एनएचआरडीएफ की तरफ से सात दिवसीय भ्रमण पर भेजा गया. वहां उन्हें लहसुन की खेती से संबंधित जानकारी मिली. इसके बाद उन्हें एनएचआरडीफ की तरफ से लहसुन का बीज मिला. फिर शैलेंद्र सिंह ने जी-282 लहसुन की प्रजाति की खेती शुरू की. लहसुन की खेती से उन्हें फायदा हुआ और उनकी कमाई बढ़ने लगी. फिलहाल वो एनएचआरडीएफ के सहयोग से चार बीघा जमीन में लहसुन की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है. इसके साथ ही उन्होंने अपने में खेतों में ड्रिप सिंचाई का सिस्टम भी लगवाया है. शैलेंद्र सिंह को देखकर उनके गांव के अन्य किसान भी लहसुन और टमाटर की खेती कर रहे हैं. 

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खेती के जरिए हासिल की उपलब्धि

इस तरह की खेती से उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. एक सरकारी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि साल 2027-28 में चार बीघा में अनार की खेती में दो लाख रुपये की कमाई होगी. 10 बीघा में लहसुन की खेती में चार लाख रुपये की कमाई होती है. इसके अलावा चार बीघा में टमाटर की खेती से 60 हजार रुपये की कमाई होती है. धान और अन्य फसलों से 50 हजार और पशुधन से लगभग 60 हजार रुपये की कमाई होती है. इस कमाई से उनके जीवन में खुशहाली आई है. उन्होंने अपना पक्का मकान बना लिया है. तीन बच्चे बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा दो बेटे अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.