महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुई भारी बारिश से 20 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर खड़ी फसलें प्रभावित हुई हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने निर्देश दिया है कि प्रभावित किसानों की सहायता के लिए तुरंत पंचनामा तैयार किया जाए और राहत उपाय शुरू किए जाएं. वहीं उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने किसानों से अनुरोध किया है कि वो कोई भी गलत कदम न उठाएं. उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया है कि सरकार उन्हें राहत प्रदान करने के लिए कई उपाय कर रही है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए पंचनामा प्रक्रिया शुरू कर दी है. पुणे में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'स्थिति कुल मिलाकर नियंत्रण में है और तदनुसार मुआवजा दिया जाएगा.' राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भारणे ने कहा कि अगस्त में हुई भारी बारिश ने कोंकण, पश्चिमी महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और विदर्भ के क्षेत्रों में फैले 19 जिलों में 20.12 लाख एकड़ में फैली फसलों को नुकसान पहुंचाया है.
भारणे ने गुरुवार को कहा, '9 अगस्त से अब तक हुई अत्यधिक बारिश ने 187 तालुकाओं और 654 राजस्व मंडलों को प्रभावित किया है.' उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, 'किसी भी किसान को सहायता के बिना नहीं छोड़ा जाना चाहिए. सरकार उनके साथ पूरी तरह खड़ी है और उन्हें उम्मीद नहीं खोनी चाहिए.' सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में, नांदेड़ में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. यहां बादल फटने से आई बाढ़ के कारण 2.86 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसलें प्रभावित हुईं हैं.
बाकी गंभीर रूप से प्रभावित जिलों में वाशिम (1.65 लाख हेक्टेयर), यवतमाल (81,000 हेक्टेयर), बुलढाणा (75,000 हेक्टेयर), अकोला (44,000 हेक्टेयर), सोलापुर (42,000 हेक्टेयर), हिंगोली (40,000 हेक्टेयर), परभणी (29,000 हेक्टेयर), अमरावती (13,000 हेक्टेयर), और जलगांव (12,000 हेक्टेयर) शामिल हैं. भरणे ने पुष्टि की कि फसल नुकसान का विस्तृत आकलन अभी चल रहा है. उन्होंने कहा, 'किसानों को समय पर मुआवजा और राहत सुनिश्चित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. भारी बारिश से न सिर्फ फसलों को, बल्कि घरों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ है. अधिकारियों को तत्काल पंचनामा तैयार करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि हर प्रभावित किसान को सहायता मिले.
जिन प्रमुख फसलों को नुकसान पहुंचा है उनमें सोयाबीन, मक्का, कपास, उड़द, अरहर, मूंग के साथ-साथ सब्जियां, फल, बाजरा, गन्ना, प्याज, ज्वार और हल्दी शामिल हैं. भरणे के अनुसार हर गांव से नुकसान का आकलन रिपोर्ट तुरंत सरकार को सौंपी जाएगी ताकि बिना किसी देरी के सहायता राशि वितरित की जा सके. उनका कहना था कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है. भरणे की मानें तो उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में किसानों की कठिनाइयों को खुद देखा है.
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