Delhi Circle Rate: दिल्‍ली में 8 गुना महंगी हो जाएगी खेती की जमीन, 17 साल बाद होने जा रहा एक बदलाव 

Delhi Circle Rate: दिल्‍ली में 8 गुना महंगी हो जाएगी खेती की जमीन, 17 साल बाद होने जा रहा एक बदलाव 

रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली के 200 से ज्‍यादा गांवों में 50,000 एकड़ से ज्‍यादा की जमीन अभी भी खेती के इस्तेमाल में है.  इनमें तिगिपुर, खमपुर, हमीदपुर, झांगोला, बांकनेर, भोरगढ़, लमपुर, बख्तावरपुर, दरियापुर कलां, नजफगढ़, बिजवासन और धिचाऊ कलां जैसे गांव शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस एक जैसी वैल्यूएशन की वजह से बड़े पैमाने पर अंडरवैल्यूएशन हुआ है. 

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 18, 2025,
  • Updated Dec 18, 2025, 2:52 PM IST

दिल्ली सरकार 17 साल में पहली बार खेती की जमीन के लिए सर्कल रेट्स में बदलाव करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि ड्राफ्ट प्रपोजल में मौजूदा रेट्स में आठ गुना तक बढ़ोतरी की जा सकती है. अगर इसे मंजूरी मिलती है तो इस कदम से राजधानी के ग्रामीण इलाकों में जमीन की कीमतों में काफी बदलाव आ सकता है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनिंदा जगहों पर कृषि भूमि का सर्कल रेट मौजूदा एक समान रेट 53 लाख रुपये प्रति एकड़ की तुलना में बढ़कर 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक हो सकता है. 

मीटिंग के बाद लिया गया फैसला 

हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स ने दो अधिकारियों के हवाले से बताया है कि मौजूदा रेट आखिरी बार 2008 में रिवाइज किए गए थे. हालांकि सरकार ने 2023 में बढ़ोतरी की घोषणा की थी लेकिन प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका. इससे तेजी से शहरीकरण के बावजूद कृषि भूमि की कीमतें लगभग दो दशकों से स्थिर बनी हुई हैं. यह कदम पिछले दो महीनों में रेवेन्यू डिपार्टमेंट और किसानों के प्रतिनिधियों, कृषि संगठनों और दूसरे स्टेकहोल्डर्स के बीच हुई कई मीटिंग्स के बाद उठाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि यह कवायद दिल्ली में प्रॉपर्टी वैल्यूएशन के नियमों की बड़ी समीक्षा का हिस्सा है. पिछली बार बदलाव के बाद से काफी लंबा गैप होने की वजह से कृषि भूमि को अलग से लिया गया है. 

सरकार को हो रहा नुकसान 

एक सीनियर रेवेन्यू अधिकारी ने बताया, 'रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टीज के उलट, जहां रिवाइज्ड सर्कल रेट अभी भी एक कमेटी द्वारा जांचे जा रहे हैं, एग्रीकल्चरल जमीन को प्राथमिकता दी गई है. असल ट्रांजैक्शन वैल्यू और नोटिफाइड सर्कल रेट के बीच बहुत बड़ा अंतर है. जमीन बहुत ज्‍यादा कीमतों पर बेची जा रही है लेकिन स्टैंप ड्यूटी 53 लाख रुपये प्रति एकड़ पर दी जा रही है, जिसका मतलब है कि सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है.' 

क्‍या है ड्राफ्ट का प्रस्‍ताव 

ड्राफ्ट प्रस्ताव में सभी गांवों में एक जैसी दर का प्रावधान नहीं है. इसके बजाय, सर्कल रेट लोकेशन, आसपास के डेवलपमेंट और मौजूदा जमीन के इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. अधिकारियों ने कहा कि जिन इलाकों में अभी भी खेती की बड़ी, लगातार जमीनें हैं, वहां बेस रेट में ज्‍यादा बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि जिन गांवों में खेती की जमीन ज्‍यादातर रिहायशी या सेमी-अर्बन इस्तेमाल में बदल गई है, वहां बदलाव कम हो सकता है. 

200 ज्‍यादा गांवों पर असर 

रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली के 200 से ज्‍यादा गांवों में 50,000 एकड़ से ज्‍यादा की जमीन अभी भी खेती के इस्तेमाल में है.  इनमें तिगिपुर, खमपुर, हमीदपुर, झांगोला, बांकनेर, भोरगढ़, लमपुर, बख्तावरपुर, दरियापुर कलां, नजफगढ़, बिजवासन और धिचाऊ कलां जैसे गांव शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस एक जैसी वैल्यूएशन की वजह से बड़े पैमाने पर अंडरवैल्यूएशन हुआ है.  इससे शहर के बाहरी इलाकों के गांवों और शहरी इलाकों के पास वाले गांवों के बीच जमीन की कीमतों में बड़े अंतर छिप गए हैं. 

अक्टूबर में किसानों के साथ बातचीत हुई जिसके बाद उन्‍हें  15 अक्टूबर तक सुझाव देने के लिए बुलाया गया. इन चर्चाओं के दौरान, किसानों के प्रतिनिधियों ने विकसित इलाकों से दूरी, सड़क कनेक्टिविटी और आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर5 करोड़ से 8 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक के सर्कल रेट का प्रस्ताव दिया. अधिकारियों ने बताया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने तुलनात्मक फ्रेमवर्क बनाने के लिए पड़ोसी राज्यों में कृषि भूमि के सर्कल रेट की भी स्‍टडी की गई है. 

यह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!