PM Modi Ethiopia Visit: बीज से मिलेट्स तक, इथोपिया में पीएम मोदी ने खोला भारत-इथोपिया कृषि सहयोग का रोडमैप

PM Modi Ethiopia Visit: बीज से मिलेट्स तक, इथोपिया में पीएम मोदी ने खोला भारत-इथोपिया कृषि सहयोग का रोडमैप

India-Ethiopia Ties: इथोपिया संसद में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और इथोपिया की साझेदारी का आधार खेती है. मिलेट्स, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सहयोग से दोनों देशों के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा.

PM Modi In Ethopia ParliamentPM Modi In Ethopia Parliament
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 17, 2025,
  • Updated Dec 17, 2025, 6:56 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इथोपिया दौरे के दौरान भारत-इथोपिया रणनीतिक साझेदारी में खेती और किसानों को भी केंद्र में रखा. इथोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बीज विकास, सिंचाई, मिलेट्स, जलवायु अनुकूल खेती, डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण में सहयोग बढ़ाने की घोषणा की और कहा कि कृषि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसी के जरिए खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय को मजबूती दी जा सकती है. 

खेती परंपरा और नवाचार को जोड़ने वाली कड़ी

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और इथोपिया दोनों विकासशील देश हैं और दोनों की अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका केंद्रीय है. खेती सिर्फ आजीविका का साधन नहीं, बल्कि परंपरा और नवाचार को जोड़ने वाली कड़ी है. उन्होंने बीज विकास, सिंचाई प्रणालियों और मिट्टी की सेहत सुधारने वाली तकनीकों पर मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्‍हाेंने कहा किबेहतर बीज और आधुनिक खेती तकनीक से दोनों देशों के किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है.

जलवायु परिवर्तन को लेकर कही ये बात

जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते मौसम, अनियमित बारिश और फसल चक्र में हो रहे बदलाव किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. ऐसे में भारत और इथोपिया को क्लाइमेट रेजिलिएंट फार्मिंग यानी जलवायु अनुकूल खेती के अनुभव साझा करने चाहिए. भारत में सूखा सहनशील फसलें, मोटे अनाज और माइक्रो इरिगेशन पर किए गए प्रयोग इथोपिया के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं. वहीं, इथोपिया के पारंपरिक कृषि ज्ञान से भारत भी सीख सकता है.

मोटे अनाज पर भी फोकस

प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज यानी मिलेट्स का विशेष रूप से उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि भारत में रागी और बाजरा जैसे श्री अन्न को बढ़ावा दिया जा रहा है और इथोपिया का टेफ अनाज भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के लिए भी प्रेरणा है. दोनों देशों के बीच मिलेट्स रिसर्च, प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन में सहयोग से पोषण सुरक्षा और किसानों की आमदनी दोनों को मजबूती मिल सकती है.

डेयरी, पशुपालन और फार्म मैकेनाइजेशन को लेकर भी प्रधानमंत्री ने सहयोग की संभावनाएं गिनाईं. उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन, पशु नस्ल सुधार और मशीनों के इस्तेमाल से छोटे किसानों का बोझ कम किया जा सकता है. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में साझेदारी से कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर बन सकते हैं.

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुभव किए साझा

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुभव साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में तकनीक के जरिए किसानों तक सीधे लाभ पहुंचाया जा रहा है. करोड़ों किसानों को साल में तीन बार सीधे बैंक खाते में सहायता दी जाती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म से भुगतान, पहचान और सरकारी सेवाएं आसान हुई हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि इथोपिया की डिजिटल इथोपिया 2025 रणनीति के तहत भारत अपने अनुभव साझा करने को तैयार है, जिससे कृषि सेवाओं और किसान कल्याण योजनाओं को और प्रभावी बनाया जा सके.

स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मजबूत खेती व्यवस्था ही मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव होती है. कोविड महामारी के दौरान भारत ने इथोपिया को वैक्सीन सप्लाई कर वैश्विक जिम्मेदारी निभाई. आगे भी दोनों देश स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कार्यक्रमों में मिलकर काम कर सकते हैं, ताकि ग्रामीण आबादी को सीधा लाभ मिले.

इथोपिया में बड़ा निवेश कर रही भारतीय कंपनियां

प्रधानमंत्री ने यह भी जिक्र किया कि भारतीय कंपनियां इथोपिया में कृषि, टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में बड़ा निवेश कर रही हैं. पांच अरब डॉलर से अधिक के निवेश और हजारों स्थानीय नौकरियों के जरिए भारत-इथोपिया सहयोग जमीन पर असर दिखा रहा है. रणनीतिक साझेदारी के बाद कृषि, खाद्य सुरक्षा और क्षमता निर्माण में सहयोग और तेज होने की उम्मीद है.

अफ्रीका और ग्लोबल साउथ की भूमिका पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकासशील देशों को अपनी आवाज मजबूत करनी होगी. कृषि और ग्रामीण विकास में आत्मनिर्भरता इस दिशा में सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर इनिशिएटिव का जिक्र करते हुए कहा कि इससे कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन तैयार होगा.

प्रधानमंत्री ने पर्यावरण और खेती के रिश्ते को भी रेखांकित किया. उन्‍होंने भारत की एक पेड़ मां के नाम पहल और इथोपिया की ग्रीन लिगेसी पहल को समान सोच का उदाहरण बताया. साथ ही कहा कि टिकाऊ खेती, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव ईंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग से किसानों के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा.

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