चीनी उत्पादन में 28% उछाल, कीमतों में गिरावट से चिंतित मिलें, NFCSF ने सरकार से मांगी तुरंत राहत

चीनी उत्पादन में 28% उछाल, कीमतों में गिरावट से चिंतित मिलें, NFCSF ने सरकार से मांगी तुरंत राहत

ISMA के मुताबिक 15 दिसंबर तक देश में चीनी उत्पादन 78.25 लाख टन पहुंचा, बढ़ते सरप्लस से घरेलू कीमतों पर दबाव. निर्यात कोटा और इथेनॉल डायवर्जन बढ़ाने की मांग.

Sugar Production  Sugar Production
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 18, 2025,
  • Updated Dec 18, 2025, 12:34 PM IST

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि 15 दिसंबर 2025 तक, पूरे भारत में चीनी उत्पादन 78.25 लाख टन तक पहुंच गया है, जो पिछले साल इसी अवधि में 61.28 लाख टन की तुलना में लगभग 28% की अच्छी वृद्धि है. चालू चीनी मिलों की संख्या भी पिछले सीजन की इसी तारीख को चालू 477 मिलों की तुलना में मामूली रूप से बढ़कर 478 हो गई है.

अभी चीनी उत्पादन में और भी तेजी से बढ़ोतरी की उम्मीद है, इसलिए नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) ने केंद्र सरकार से घरेलू चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया है. फेडरेशन ने कीमतों में और गिरावट को रोकने के लिए चीनी निर्यात कोटा बढ़ाने और अतिरिक्त पांच लाख टन चीनी को इथेनॉल बनाने में डायवर्जन की मांग की है.

NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि सरकार के समय पर और सकारात्मक फैसलों से चीनी मिलों, खासकर सहकारी मिलों को बहुत जरूरी राहत मिलेगी, जो बढ़ते वित्तीय दबाव में हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादा निर्यात और इथेनॉल की ओर ज्यादा डायवर्जन से बाजार में अतिरिक्त चीनी को खपाने में मदद मिलेगी और न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) को समर्थन मिलेगा.

चीनी के गिरते रेट से चिंता

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, चल रहे 2025-26 सीजन में चीनी उत्पादन में मजबूत रुझान दिखे हैं, जो प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ने की अच्छी उपलब्धता और बेहतर पेराई क्षमता की ओर इशारा करते हैं.

यह बढ़ोतरी सेक्टर की उत्पादन क्षमता को दिखाती है, लेकिन मिल मालिकों ने अतिरिक्त चीनी के कारण कीमतों में गिरावट को लेकर चिंता जताई है. देश में सहकारी चीनी मिलों की सबसे बड़ी संस्था NFCSF ने भी चीनी के MSP में तुरंत बदलाव की मांग की है.

मिल मालिकों का तर्क

मिल मालिकों का तर्क है कि मौजूदा कीमतें बढ़ती उत्पादन लागत को ठीक से नहीं दिखाती हैं, जिसमें गन्ने की ज्यादा कीमतें, ऊर्जा खर्च और पेराई की लागत शामिल हैं. साथ ही, एक्स-मिल चीनी कीमतें दबाव में बनी हुई हैं, जिससे मिलों का मार्जिन कम हो रहा है.

उद्योग प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि मिलों की कमाई पर लगातार दबाव से सहकारी चीनी कारखानों के सामने फंड का संकट और बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति का गन्ने के किसानों को समय पर भुगतान पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में संकट और बढ़ जाएगा.

फेडरेशन ने इस बात पर जोर दिया कि निर्यात, इथेनॉल डायवर्जन और MSP में बदलाव पर केंद्र सरकार के पॉजिटिव रुख से चीनी बाजार को स्थिर करने, मिलों की हालत में सुधार करने और सेक्टर के लिए इस महत्वपूर्ण मोड़ पर किसानों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी.

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