Basmati Rice: चावल पर ट्रंप की तनातनी के बीच बासमती को लेकर EU ले सकता है बड़ा फैसला 

Basmati Rice: चावल पर ट्रंप की तनातनी के बीच बासमती को लेकर EU ले सकता है बड़ा फैसला 

अगर भारत को पीजीआई या GI टैग मिलता है तो उसे यूरोपियन यूनियन में लंबे दाने वाले चावल की मार्केटिंग करने का एक्सक्लूसिव अधिकार मिल जाएगा. यूरोपियन कमीशन ने 7 जुलाई की मीटिंग में सिविल डायलॉग ग्रुप (CDG) को बताया कि GI बातचीत काफी धीमी गति से आगे बढ़ रही है. ईयू ने कहा कि वह पीजीआई आवेदन पर 'निष्पक्ष और न्यायसंगत फैसला' देने के लिए सभी तर्कों (पक्ष और विपक्ष में) पर विचार करेगा. 

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Basmati Rice: चावल पर ट्रंप की तनातनी के बीच बासमती को लेकर EU ले सकता है बड़ा फैसला 

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए राइस डंपिंग के आरोपों के बीच ही यूरोपियन यूनियन (ईयू) बासमती चावल को लेकर एक बड़ा फैसला सुना सकता है. दरअसल भारत और पाकिस्‍तान दोनों ने ही बासमती के लिए ईयू के पास प्रोटेक्टेड ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (पीजीआई) टैग के लिए अप्‍लाई किया है. इन दोनों देशों की तरफ से दायर अप्‍लीकेशंस का मूल्यांकन करने के अंतिम चरण में है. लेकिन फेडरेशन ऑफ यूरोपियन राइस मिलर्स (FERM) यह टैग देने के खिलाफ है.

PGI या GI टैग का फायदा  

अगर भारत को पीजीआई या GI टैग मिलता है तो उसे यूरोपियन यूनियन में लंबे दाने वाले चावल की मार्केटिंग करने का एक्सक्लूसिव अधिकार मिल जाएगा. हालांकि, यूरोपियन कमीशन ने 7 जुलाई की मीटिंग में सिविल डायलॉग ग्रुप (CDG) को बताया कि GI बातचीत काफी धीमी गति से आगे बढ़ रही है. ईयू ने कहा कि वह पीजीआई आवेदन पर 'निष्पक्ष और न्यायसंगत फैसला' देने के लिए सभी तर्कों (पक्ष और विपक्ष में) पर विचार करेगा. 

FERM यूरोपियन राइस मिलर्स की एक लॉबी है और उसकी तरफ से बासमती के लिए पीजीआई टैग का कड़ा विरोध किया गया है.  संगठन का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो फिर यूरोप के वो देश जो इसके सदस्य भी हैं अपने बनाए ब्रांड के तहत बासमती नहीं बेच पाएंगे. FERM के विरोध की वजह से भारत को यूरोपियन यूनियन की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पीजीआई टैग हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. 

कई सालों से जारी हैं कोशिशें 

अखबार बिजनेसलाइन ने एक इंटरनेशनल ट्रेड एनालिस्ट के हवाले से लिखा है कि उन्‍हें GI टैग बासमती पाने में गंभीर समस्या हो रही है क्योंकि केन्या, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी अब बासमती की दावेदारी कमजोर पड़ रही है. भारत और पाकिस्तान बासमती चावल के लिए ईयू से यह पीजीआई टैग हासिल करने के लिए कई सालों से कोशिशों में लगे हैं. नई दिल्ली ने जुलाई 2018 में पीजीआई टैग के लिए अपना आवेदन दिया था और ईयू ने इसे सिर्फ 2020 में नोटिफाई किया. 

कब-कब क्‍या-क्‍या हुआ 

दूसरी तरफ पाकिस्तान ने जनवरी 2024 में जीआई टैग के लिए अपना आवेदन दिया. EU ने इसे अप्रैल 2024 में एक अलग क्लॉज के तहत फिर से पब्लिश किया जिससे भारत को फायदा हुआ. इटली पाकिस्‍तान के बासमती का विरोध कर रहा है और ईयू ने उसके विरोध को स्‍वीकार कर लिया है. इसका मतलब यही है कि पाकिस्तान को ईयू से पीजीआई टैग हासिल करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इटली के कृषि उद्यमियों के संगठन कोल्डिरेटी और फिलिएरा इटालिया ने ईयू से तर्क दिया कि पाकिस्तानी बासमती से 'बाल मजदूरी, अवैध कीटनाशक और डंपिंग' जैसे जोखिम हैं. 

EU की अजब रिक्‍वेस्‍ट 

इससे अलग ईयू की तरफ से भारत और पाकिस्तान पर साथ में मिलकर पीजीआई टैग के लिए अप्लाई करने का दबाव डाला जा रहा है. हालांकि भारत की तरफ से इसे खारिज कर दिया गया  है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने अपने आवेदन में भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया है और यह देश की संप्रभुता पर सवाल उठाता है.  ईयू भारत से बासमती के लिए पीजीआई टैग के मुद्दे को भारत-ईयू फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के दायरे से अलग करने के लिए कह रहा है. लेकिन शायद ही भारत इस प्रस्‍ताव को अपनी रजामंदी दे. 

ट्रेड एनालिस्ट्स के अनुसार  भारत और ईयू के बीच GI के प्रति नजरिए में एक बुनियादी अंतर है. ईयू के लिए, किसी प्रोडक्ट के लिए जीआई एक प्रीमियम मौका है. जबकि भारत के मामले में जीआई संस्कृति और परंपरा से जुड़ा है. ऐसे में समझौता बहुत ही मुश्किल होगा. हाल ही में, कॉमर्स मिनिस्ट्री ने संसद को बताया कि उसे 21 देशों में बासमती के लिए जीआई टैग मिल गया है. हालांकि, उनमें से ज्‍यादातर देश अफ्रीका में हैं और विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कोई ज्‍यादा फायदा नहीं होने वाला है. 

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