छठ का महापर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो गया है. छठ का पहला दिन नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है. छठ व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है. यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है. छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. खरना का अर्थ है शुद्धिकरण. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है.
खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं. इस दिन छठी माता का प्रसाद बनाया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है. खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जाती है. प्रसाद तैयार होने के बाद व्रती महिलाएं सबसे पहले इसका सेवन करती हैं, जिसके बाद इसे बांटा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती नदी और घाटों पर पहुंचते हैं. जहां डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्य देव को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता है. साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं.
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