भारत में 28 राज्य हैं और इन सभी राज्यों की अपनी-अपनी विशेषताएं है. इन विशेषताओं के पीछे यहां की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ मशहूर उत्पाद हैं. ऐसे में भारत के अलग-अलग राज्य अपने यहां के उत्पादों के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक उत्पाद है प्राकृतिक रबड़ जिसे लेटेक्स रबड़ के वृक्ष से प्राप्त किया जाता है. वहीं थाईलैंड, इण्डोनेशिया, वियतनाम विश्व में प्राकृतिक रबड़ उत्पादन के अग्रणी देश है. वहीं भारत की बात करें तो रबड़ उत्पादन में चौथे स्थान पर है. रबड़ का उपयोग कई महत्वपूर्ण कामों के लिए किया जाता है.
वहीं रबड़ की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. वैसे तो यह भारत के कई राज्यों में उगाया जाता है. पर क्या आप जानते हैं भारत में प्राकृतिक रबड़ का सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है. यानी किस राज्य से सबसे अधिक आती है हल्दी. आइए जानते हैं.
भारत में सबसे अधिक प्राकृतिक रबड़ का उत्पादन केरल में होता है यानी रबड़ उत्पादन के मामले में ये राज्य सबसे आगे है. यहां के किसान हर साल बंपर मात्रा में रबड़ की खेती करते हैं. देश के कुल रबड़ उत्पादन में केरल का 75.70 फीसदी की हिस्सेदारी है. साथ ही केरल के कोट्टायम और कोझिकोड प्रमुख शहर में सबसे अधिक रबड़ उत्पादन होता है.
भारत का दूसरा सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य तमिलनाडु है. यहां पर भी बड़ी संख्या में रबड़ का उत्पादन किया जाता है, जिसके बाद यहां से रबड़ को अलग-अलग राज्यों और जिलों में भेजा जाता है. साथ ही भारत में रबड़ उत्पादन में उत्तर-पूर्वी राज्यों का भी अहम योगदान है. इसमें असम, त्रिपुरा और मेघालय प्रमुख रूप से रबड़ का उत्पादन करते हैं. वहीं इन उत्तर-पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक त्रिपुरा में रबड़ का उत्पादन होता है.
रबड़ को बनाने के लिए उसके पेड़ के तनों में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) को एकत्रित कर लिया जाता है. इसके बाद इस लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण किया जाता है, ताकि अच्छी क्वालिटी वाला रबड़ प्राप्त हो सके. इसके बाद लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने पर केवल रबड़ ही रह जाता है.
रबड़ का उपयोग कई तरह की चीजों को बनाने के लिए किया जाता है. दरअसल रबड़ का इस्तेमाल कर शोल, टायर, रेफ्रिजरेटर, इंजन की सील के अलावा कंडोम, गेंद, इलेक्ट्रिक उपकरण और इलास्टिक बैंड जैसी चीजों को बनाया जाता है. इसके साथ ही रबड़ का इस्तेमाल दस्ताने, बेल्ट और मेडिकल क्षेत्र में प्रमुख रूप से होता है.