Poultry: मुर्गी पालन के लिए जरूरी हैं ये 14 काम, नहीं किए पूरे तो लग जाएगा ताला, जानें डिटेल

Poultry: मुर्गी पालन के लिए जरूरी हैं ये 14 काम, नहीं किए पूरे तो लग जाएगा ताला, जानें डिटेल

खासतौर पर पोल्ट्री फार्म दो तरह के होते हैं. एक लेअर फार्म जहां अंडों का कारोबार होता है. दूसरा होता है ब्रॉयलर फार्म यहां चिकन के लिए मुर्गे पाले जाते हैं. लेकिन सरकार के बनाए नियम दोनों ही जगह लागू होते हैं. क्योंकि अंडा हो या चिकन इनका उत्पादन पोल्ट्री फार्म में मौजूद सुविधाओं पर निर्भर करता है.

पोल्ट्री फार्म में बंद मुर्गियां. फोटो क्रेडिट-किसान तकपोल्ट्री फार्म में बंद मुर्गियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Aug 09, 2023,
  • Updated Aug 09, 2023, 1:29 PM IST

पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो देश में पोल्ट्री कारोबार दो लाख करोड़ के आंकड़े को भी पार कर चुका है. लाखों लोग सीधे तौर पर पोल्ट्री कारोबार से जुड़े हुए हैं. कोई अंडे का काम कर रहा है तो कोई चिकन का. लेकिन दोनों ही काम मुर्गी पालन से जुड़े हुए हैं. बैकयार्ड और कमर्शियल दो तरह का मुर्गी पालन होता है. लेकिन इसमे से कमर्शियल मुर्गी पालन के लिए सरकार की ओर से गाइड लाइन बनाई गई है. बैकयार्ड के तहत घर और फार्म हाउस में 100-50 मुर्गियां पाली जाती हैं. लेकिन कमर्शियल में गाइड लाइन के मुताबिक ही मुर्गी पालन करना होता है. अगर नियमों का पालन नहीं किया तो सरकार लाइसेंस मतलब कई तरह की एनओसी नहीं देती है.

अगर संचालित पोल्ट्री फार्म में नियमों को तोड़ा तो सरकार कार्रवाई करते हुए पोल्ट्री फार्म को बंद करा सकती है. एक्सपर्ट की मानें तो ये सभी नियम मुर्गियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं. और खास बात ये है कि अगर ये नियम टूटते हैं तो उसका असर अंडा और चिकन उत्पादन पर भी पड़ता है. 

यह भी पढ़ें- सिर्फ भेड़ पालन-चराने में ही नहीं सेना के बीच भी मशहूर है चारवाहों का ये समुदाय, जानें डिटेल

पोल्ट्री फार्म के लिए पूरे करने होंगे ये 14 नियम 

मुख्य पशु चिकित्सा अधि‍कारी से जमीन के निरीक्षण की एनओसी लेनी होगी. 

पोल्ट्री फार्म स्थापित करने और संचालन करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी. 

नदी, झील, नहर, कुंआ और पानी के स्टोरेज टैंक से 100 मीटर की दूरी पर बनाया जाए. 

पोल्ट्री फार्म की नेशनल हाइवे से 100 मीटर की दूरी रखनी होगी. 

पोल्ट्री फार्म की स्टेट हाइवे से 50 मीटर की दूरी रखनी होगी. 

किसी और अन्य सड़क या पखडंडी से पोल्ट्री फार्म की दूरी 10 से 15 मीटर रखनी होगी. 

पोल्ट्री फार्म के ऊपर से हाइटेंशन की लाइन नहीं जा रही हो. 

स्कूल-कॉलेज और किसी भी धार्मिक स्थल से पोल्ट्री  फार्म की दूरी 500 मीटर होनी चाहिए. 

पोल्ट्री फार्म में बिजली की अच्छीा व्यपवस्थाट होनी चाहिए. 

जिस जमीन पर पोल्ट्री  फार्म बना हो उसकी जमीन समतल होनी चाहिए. 

पोल्ट्री फार्म की बाउंड्रीवाल से मुर्गियों के शेड की दूरी 10 मीटर होनी चाहिए. 

मुर्गियों के शेड की जाली वाली साइड उत्तर से दक्षिण में होनी चाहिए. 

पोल्ट्री फार्म का शेड जमीन से आधा मीटर ऊपर होना चाहिए. 

पोल्ट्री फार्म बाढ़ग्रस्त या पानी भरने वाली जगह पर नहीं होना चाहिए.  

यह भी पढ़ें- बरसात में बीमार पशु नहीं जा सकता अस्पताल तो डॉक्टरों की टीम आएगी बाड़े में, जानें डिटेल

अंडे और चिकन कारोबार से जुड़ी कुछ खास बातें 

अंडे- 

बाजार में बिकने वाला सामान्य अंडा लेयर बर्ड नाम की मुर्गी देती है. 

लेयर बर्ड एक साल में 280 से लेकर 290 तक अंडे देती है.

एक अंडे का वजन 55 ग्राम से लेकर 60 ग्राम तक होता है. 

लेयर बर्ड वो अंडा नहीं देती है जिसमे से चूजा निकलता है. 

देश में 28 करोड़ मुर्गियां अंडे की डिमांड को पूरा करती हैं. 

अंडा देने वाली मुर्गी रोजाना 125 ग्राम तक दाना खाती हैं. 

मुर्गियों के दाने में बाजरा, मक्का, सोयाबीन, कुछ दवाई और कंक्कड़-पत्थर दिए जाते हैं. 

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी देशभर में अंडे के रेट तय करती है. 

संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे का विज्ञापन नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी ही देती है. 

ब्रॉयलर चिकन- 

एक दिन का ब्रॉयलर चिकन का चूजा 40 से 45 रुपये का आता है. 

30 दिन में चूजा 900 से 1150 ग्राम का हो जाता है जो तंदूरी चिकन में इस्तेमाल होता है. 

ब्रॉयलर चिकन के रेट उसके वजन के हिसाब से तय होते हैं. 

ब्रॉयलर चिकन जितना भारी होता है उसके रेट उतने ही कम होते हैं. 

अकेले गाजीपुर, दिल्ली मंडी से रोजाना 5 लाख ब्रॉयलर मुर्गों की सप्लाई होती है. 

देश में साल 2020-21 में करीब 435 करोड़ ब्रॉयलर मुर्गों की जरूरत पड़ी थी. 

 

MORE NEWS

Read more!