
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाले एक प्रगतिशील किसान सरदार हरबीर सिंह ने सरकारी नौकरी या शहर की चकाचौंध को छोड़कर खेती को अपना कर्मक्षेत्र चुना. पिछले 22 साल के अपने अनुभव से उन्होंने सब्जी नर्सरी उत्पादन में ऐसे प्रयोग किए हैं, जो आज पूरे देश के लिए एक मॉडल बन गए हैं. गांव दाडलू, कुरुक्षेक्ष के रहने वाले हरबीर सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा का उपयोग खेती को आधुनिक बनाने में किया. उन्होंने समझा कि पारंपरिक खेती में लागत बढ़ रही है और मुनाफा कम हो रहा है. इसलिए, उन्होंने 'हाई-टेक वेजिटेबल नर्सरी' पर ध्यान केंद्रित किया और अपनी खुद की तकनीकें विकसित की.
हरबीर सिंह ने एक एकड़ से भी कम जमीन से शुरुआत कर आज अपनी नर्सरी को 16 एकड़ तक विस्तार कर लिया है. जो न केवल दिल्ली, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में, बल्कि विदेशो तक सप्लाई किए जा रहे हैं और हर महीने लाखों की कमाई हो रही है.
किसी भी पौधे के लिए सबसे जरूरी होती है उसकी मिट्टी. बाजार में मिलने वाला 'कोकोपीट' या अन्य मीडिया काफी महंगा होता है. हरबीर सिंह ने इसका एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प खोज निकाला. सरदार हरबीर सिंह ने खेती की लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए दो बेहतरीन तरीके अपनाए हैं. बाजार में मिलने वाला 'कोकोपीट' या अन्य मिश्रण काफी महंगा होता है. बाजार से महंगी कोकोपिट मिश्रण खरीदने के बजाय गोबर की खाद, धान की जली हुई भूसी और रेत को मिलाकर खुद एक सस्ता मिश्रण तैयार किया, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और वे तेजी से बढ़ते हैं.
इसके साथ ही, उन्होंने लाखों रुपये के पॉलीहाउस बनवाने के बजाय विशेष कपड़े से बनी सस्ती 'छोटी टनल' का आविष्कार किया. यह टनल नन्हे पौधों को तेज धूप, बारिश और कीड़ों से बचाती है, जिससे कम खर्च में भी किसान अपनी नर्सरी को सुरक्षित रखकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
हरबीर सिंह ने नर्सरी को बेहतर बनाने के लिए 'माइक्रो-स्प्रिंकलर' और 'लाइन-बुवाई' जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है. माइक्रो-स्प्रिंकलर फव्वारे की तरह हल्का और एक समान पानी छिड़कता है, जिससे बीजों को नुकसान नहीं होता और उनका जमाव बहुत अच्छा होता है.
वहीं, लाइन-बुवाई के लिए उन्होंने खास औजार बनाए हैं जो बीजों को सही गहराई और दूरी पर कतार में लगाते हैं. इन दोनों तरीकों को अपनाने से पानी और बीजों की बर्बादी रुकती है, मेहनत कम लगती है और कम समय में काम बहुत सफाई से पूरा हो जाता है.
हरबीर सिंह की ये नई तकनीकें सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे किसान समाज की मदद करने के लिए हैं. ये तरीके बहुत सस्ते हैं, पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं और इन्हें गांव में मिलने वाले सामान से ही आसानी से बनाया जा सकता है. देश भर के छोटे और कम साधन वाले किसान इन तरीकों को अपनाकर खुद अपनी अच्छी नर्सरी तैयार कर सकते हैं और अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं. अगर किसान अपनी सूझबूझ और अनुभव का इस्तेमाल करे, तो वह न केवल अपनी तकदीर बदल सकता है, बल्कि समाज को नई दिशा भी दे सकता है. मिट्टी से लेकर पौधे तैयार करने वाली तकनीक हर किसान के लिए एक सीख है.