Fake seeds: बीज, खाद और कीटनाशक को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, नकली माल बेचने वालों की बढ़ेगी मुसीबत

Fake seeds: बीज, खाद और कीटनाशक को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, नकली माल बेचने वालों की बढ़ेगी मुसीबत

'Fake seeds: किसान तक' से खास बातचीत में केंद्रीय कृषि सचिव ने बताया कि सरकार उन लोगों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेगी जो किसानों के साथ धोखा करते हैं. किसानों के साथ यह धोखा नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशकों के रूप में होता है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने खाद, बीज, कीटनाशक टेस्टिंग लैब की सख्या बढ़ाने सभी की एनएबीएल मान्यता लेने का भी फैसला लिया है.

300 नमूने क्वीलिटी में फेल हो गए हैं और वे घटिया पाए गए हैं. 300 नमूने क्वीलिटी में फेल हो गए हैं और वे घटिया पाए गए हैं.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jun 18, 2025,
  • Updated Jun 18, 2025, 4:41 PM IST

केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र तक सीड और पेस्टिसाइड एक्ट में बदलाव करके उसे और कड़ा बनाएगी, ताकि किसानों को दोयम दर्जे का सीड और नकली पेस्टिसाइड न मिले. विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान जगह-जगह किसानों की ओर से मिली शिकायत के बाद यह फैसला लिया गया है. साथ ही केंद्र सरकार ने खाद, बीज, कीटनाशक टेस्टिंग लैब की सख्या बढ़ाने सभी की एनएबीएल मान्यता लेने का भी फैसला लिया है. यही नहीं, अब इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी कंपनी मालिक जांच के लिए उठाया गया सैम्पल न बदल सके.

'किसान तक' से बातचीत में केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अब सीड ट्रेसिबिटी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि किसान को पता चले कि यह सीड कहां से होते-होते उसके पास पहुंचा है. इसके लिए बारकोडिंग अनिवार्य होगी. अभी तक बीज के पैकेट पर बारकोड नहीं लगता, जिससे पता ही नहीं चलता कि उसे कहां बनाया गया है.

एनएबीएल मान्यता जरूरी

चतुर्वेदी ने बताया कि कोई भी सैंपल जांच के लिए सबसे पहले राज्य सरकार की लैब में जाता है. इसलिए हमने सभी राज्य सरकारों को कहा है कि वह अपनी सीड, पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर टेस्टिंग लैब को एनएबीएल मान्यता करवाएं. ऐसा करना जरूरी है. मान्यता के लिए लगने वाली एक लाख रुपये की फीस और इक्यूपमेंट के लिए हम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मदद दे रहे हैं. अगर कोई कंपनी वाला राज्य सरकार की लैब रिपोर्ट के खिलाफ अपील करता है तो उसकी जांच केंद्रीय के लैब में होती है, जो रेफरल लैब हैं. 

सैंपल उठाने में न हो भेदभाव

केंद्रीय कृषि सचिव ने कहा कि लैब की संख्या से भी महत्वपूर्ण और क्रिटिकल इश्यू यह है कि सैंपल उठाने में कोई भेदभाव न हो और उसे बदला न जा सके. इस भी कृषि मंत्रालय काम कर रहा है. ऐसा न हो कि एक कंपनी या एक रिटेलर का सैंपल बार-बार उठ रहा हो और किसी का सैंपल उठे ही नहीं.

चतुर्वेदी ने कहा कि हम यह तय करेंगे कि जो सरकारी अधिकारी हैं वह किसी एक ही कंपनी को टारगेट न कर पाएं, इसलिए उनको रेंडम तरीके से बताया जाएगा कि कहां से आपको सैंपल उठाना है. इसके लिए एक ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया जा रहा है. अगर राज्य सरकार के पास कोई अलग से शिकायत है तो उसके अधिकारी संबंधित कंपनी की जांच कर सकते हैं.

नहीं बदला जा सकेगा सैंपल

चतुर्वेदी ने बताया कि सैंपल बदलने की संभावना काफी रहती है, इसलिए इसका भी एक ऐसा सिस्टम बनाया जा रहा है कि किसी को पता ही न चले कि कौन सा सैंपल किस कंपनी का है. इसलिए एक विशेष कोड लगाकर उसे डाक विभाग के जरिए लैब तक पहुंचाया जाएगा. इस तरह हम सुनिश्चित करेंगे कि खाद, बीज और पेस्टिसाइड का जो सैंपल हस वह बदला न जा सके और किसानों को न्याय मिले. यह सब प्रोसीजरल बदलाव हैं. इसके लिए एक्ट में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. एक्ट में बदलाव सजा और जुर्माने की रकम के लिए होगा.

हाइब्रिड धान पर केंद्र का स्टैंड

पंजाब सरकार द्वारा पंजाब में हाइब्रिड धान पर लगे बैन को लेकर देवेश चतुर्वेदी ने भारत सरकार के रुख को साफ किया. उन्होंने कहा कि यह केस कोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए इस पर केंद्र कोई निर्णय नहीं ले रहा है. लेकिन हम अपना मत जरूर बता देना चाहते हैं. अगर कोई तार्किक बात है तो राज्य बैन करें, वरना किसानों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए कि वह कौन सा बीज इस्तेमाल करें. कृषि मंत्रालय ने यही बात कोर्ट में भी कही है.

MORE NEWS

Read more!