किसानों के लिए खुशखबरी, DAP छोड़ SSP का करें इस्तेमाल, बढ़ेगी पैदावार, घटेगी लागत!

किसानों के लिए खुशखबरी, DAP छोड़ SSP का करें इस्तेमाल, बढ़ेगी पैदावार, घटेगी लागत!

किसानों को चाहिए कि केवल डीएपी के पीछे न भागें. एसएसपी एक सस्ता, असरदार और मिट्टी के लिए भी फायदेमंद विकल्प है. समय रहते अगर किसान इस विकल्प को अपनाएं, तो उनकी लागत भी घटेगी और फसल भी बेहतर होगी.

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किसानों के लिए खुशखबरी, DAP छोड़ SSP का करें इस्तेमाल, बढ़ेगी पैदावार, घटेगी लागत!ऑर्गेनिक खाद का करें इस्तेमाल

खेती में अधिक मुनाफा और फसलों से अधिक उत्पादन पाने के लिए किसान अक्सर खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं. जिससे न सिर्फ मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है बल्कि मिट्टी भी प्रदूषित हो रही है. जिसका असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. आपको बता दें कि यूरिया और डीएपी के अधिक इस्तेमाल से लोगों को डायबिटीज, थायराइड और अन्य जानलेवा बीमारियां हो रही हैं. जिनसे बचने के लिए जरूरी है कि हम जैविक खेती को अपनाएं और रासायनिक खादों का कम से कम इस्तेमाल करें. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कुछ ऐसी जैविक खादों के बारे में जो यूरिया और डीएपी से कई गुना ज्यादा फायदेमंद हैं.

मॉनसून की पहली दस्तक के साथ ही देशभर के किसान खरीफ सीजन की बुवाई में जुट गए हैं. कई राज्यों में कपास, सोयाबीन, मक्का और मिर्च जैसी फसलों की खेती तेज़ी से शुरू हो चुकी है. खेतों की तैयारी के साथ-साथ अब उर्वरकों की मांग भी बढ़ गई है. 

डीएपी की मांग में बढ़त

हर साल की तरह इस बार भी डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की मांग सबसे ज़्यादा देखी जा रही है. किसान इसकी बोरियों के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े हैं. लेकिन क्या वाकई केवल डीएपी ही एकमात्र विकल्प है? इसका जवाब है–नहीं. रासायनिक खादों के इस्तेमाल से भले ही किसानों को तत्काल अधिक उत्पादन मिले लेकिन लंबे समय में इसका इस्तेमाल बेहद हानिकारक साबित हो रहा है.

डीएपी का बेहतर और सस्ता विकल्प

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) भी एक बेहतरीन उर्वरक है, जो फसलों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है. एसएसपी में करीब 16% फास्फोरस होता है, जो पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और उनकी वृद्धि में मदद करता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें सल्फर भी होता है, जो डीएपी में नहीं होता. सल्फर पौधों के स्वाद, रंग और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे पैदावार अच्छी और गुणवत्ता बेहतर होती है.

इन फसलों के लिए वरदान

डॉ. राजीव सिंह के अनुसार, एसएसपी कपास, सोयाबीन और मिर्च जैसी फसलों के लिए बेहद लाभकारी है. इसके साथ पोटाश और यूरिया मिलाकर छिड़काव करने से पौधों की बढ़वार और उत्पादन में स्पष्ट सुधार देखने को मिलता है.

कीमत में भी बेहद किफायती

जहां डीएपी की एक बोरी 1350 से 1500 रुपये तक मिलती है, वहीं एसएसपी की बोरी केवल 300 से 400 रुपये में उपलब्ध है. इससे किसान कम लागत में बेहतर उपज पा सकते हैं. इसके साथ खेत की मिट्टी भी भुरभुरी और उपजाऊ बनी रहती है, जबकि डीएपी के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी सख्त हो जाती है.

उर्वरकों का सही मिश्रण और मात्रा

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि किसान यदि एसएसपी का सही तरीके से उपयोग करें, तो उन्हें डीएपी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. प्रति एकड़ के लिए निम्नलिखित मात्रा में उर्वरक छिड़काव करें:

  • एसएसपी (Single Super Phosphate): 200 किलो
  • पोटाश: 25 किलो
  • यूरिया: 140 से 150 किलो

इन खादों को चार बराबर भागों में बांटकर खेतों में समय-समय पर छिड़काव करें. इससे पौधों को संतुलित पोषण मिलेगा और उपज में बढ़ोतरी होगी.

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