ये है सरसों की सबसे अच्छी क़िस्म…फ़लियां बनने पर चटकती नहीं, मोटा होता है दाना

ये है सरसों की सबसे अच्छी क़िस्म…फ़लियां बनने पर चटकती नहीं, मोटा होता है दाना

सरसों की एक उन्नत किस्म है जिसका नाम है लक्ष्मी (आरएच 8812). इसके पकने की अवधि 135-140 दिनों की है. इसकी औसत उपज 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की कई खासियत है जिसमें खास है कि इसकी फलियां करने पर चटकती नहीं हैं और दाने मोटे और काले होते हैं.

सरसों की अगेती बुवाई का क्या है सही समय? सरसों की अगेती बुवाई का क्या है सही समय?
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 20, 2024,
  • Updated Nov 20, 2024, 6:44 PM IST

सरसों की खेती से पहले उन्नत किस्मों के बारे में जान लेना जरूरी है. सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है जिसकी खेती सिंचित और संरक्षित नमी में बारानी क्षेत्रों में की जाती है. राजस्थान का देश में सरसों उत्पादन में प्रमुख स्थान है. पश्चिमी क्षेत्र में राज्य के कुल सरसों उत्पादन का 29 प्रतिशत पैदावार देता है. आईसीएआर की एक रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र में सरसों की औसत उपज (700 किलो प्रति हेक्टेयर) काफी कम है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नत तकनीक और उन्नत किस्मों की बुवाई कर सरसों की पैदावार 30 से 60 प्रतिशत बढ़ाई जा सकती है.

इसी में सरसों की एक उन्नत किस्म है लक्ष्मी (आरएच 8812) जिसके पकने की अवधि 135-140 दिनों की है. इसकी औसत उपज 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की कई खासियत है जिसमें खास है कि इसकी फलियां करने पर चटकती नहीं हैं और दाने मोटे और काले होते हैं. सरसों की खेती में बड़ी समस्या फलियों के चटकने की होती है और इससे बड़ी मात्रा में दाने खेत में झड़ जाते हैं. इन दानों को उठाना मुश्किल होता है क्योंकि दाने बहुत छोटे होते हैं. लक्ष्मी ऐसी उन्नत किस्म है जिसकी फलियां पकने पर चटकती नहीं हैं.

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सरसों की उन्नत किस्में

पूसा जय किसान

इसकी पकने की अवधि 125-130 दिन है. इसकी औसत उपज 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म सफेद रोली, उखटा और तुलासिता रोग रोधी, सिंचित और असिंचित बारानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.

आशीर्वाद

पकने की अवधि 125-130 दिन है. 16 से 18 क्विंटल तक उपज मिलती है. इसकी देरी से बुवाई की जा सकती है. सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.

आरएच 30

130 से 135 दिनों में पक जाती है. 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है. इसके दाने मोटे होते हैं. मोयला का प्रकोप कम होता है. सिंचित और और असिंचित क्षोत्रों के लिए उपयुक्त है.

पूसा बोल्ड

इस किस्म की पकने की अवधि 125-130 दिन है. 18-20 क्विंटल उपज मिलती है. दाने मोटे होते हैं और रोग कम लगते हैं.

क्रांति (पीआर 15)

इस किस्म की पकने की अवधि 125-130 दिन है. इसकी औसत उपज 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. तुलासिता और सफेद रोली रोधक, दाना मोटा और कत्थई रंग का होता है. यह किस्म असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.

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सरसों की फसल के लिए 8-10 टन गोबर की सड़ी हुई या कंपोस्ट खाद को बुवाई से कम से कम तीन से चार सप्ताह पहले खेत में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए. इसके बाद मिट्टी की जांच के अनुसार सिंचित फसल के लिए 60 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय कूंडों में, 87 किलो डीएपी और 32 किलो यूरिया या 65 किलो यूरिया और 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट देना चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी 30 किलो मात्रा को पहली सिंचाई के समय 65 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा 40 किलो गंधक चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से फसल जब 40 दिन की हो जाए तो देना चाहिए. असिंचित क्षेत्र में 40 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस को बुवाई के समय 87 किलो डीएपी और 54 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए.

 

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