हाल ही में बिहार के मखाना को एक बार फिर नई पहचान और उड़ान दोनों मिली है. आपको बता दें अकेले बिहार में 80 फीसदी से ज्यादा मखाना की खेती होती है, क्योंकि यहां की जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार की ओर से बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किसानों की समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बिहार के मखाना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी जिसमें बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का निर्णय लिया गया है.
ऐसे में अगर आप भी मखाना की खेती कर रहे हैं या खेती में दिलचस्पी रखते हैं तो मखाना की इस वैरायटी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने स्वर्ण वैदेही मखाना की एक ऐसी वैरायटी विकसित की है, जिसकी ना केवल उत्पादन क्षमता बल्कि इसे कम समय में भी तैयार किया जा सकता है. साथ ही इसमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में हैं. यह भारत की पहली वैरायटी है जो पारंपरिक बीजों से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज देती है.
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स्वर्ण वैदेही वैरायटी की उपज 28-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि पारंपरिक बीजों की औसत उपज केवल 20-21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इससे आपको उच्च क्वालिटी वाला मखाना मिलता है. स्वर्ण वैदेही वैरायटी में रोग और कीटों की संभावना भी बहुत कम है. उच्च क्वालिटी के अलावा, स्वर्ण वैदेही वैरायटी रोगों और कीटों के लिए भी प्रतिरोधी है. मखाना की स्वर्ण वैदेही वैरायटी का उपयोग रोजमर्रा के खाने में खीर, हलवा, दूध की मिठाई, नमकीन, दाल मखनी बनाने और सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए आसानी से किया जाता है. इसके साथ ही, स्वर्ण वैदेही वैरायटी का उपयोग दवाई बनाने और सौंदर्य उत्पाद तैयार करने में भी किया जाता है.
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स्वर्ण वैदेही मखाना वैरायटी के 110 सेमी व्यास के गोलाकार पत्ते पानी पर तैरते हैं. इस वैरायटी में 50 प्रतिशत फूल 120-125 दिनों में ही आ जाते हैं. स्वर्ण वैदेही मखाना वैरायटी के बीजों का व्यास 9.5-10.2 मिमी होता है और 100 बीजों का वजन 92-98 ग्राम होता है. इसका रंग दूध जैसा सफेद होता है. स्वर्ण वैदेही वैरायटी में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. स्वर्ण वैदेही वैरायटी की बाजार में काफी मांग है.
बिहार के दौरे पर आए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मखाना किसानों के पक्ष में कई बातें कही हैं. इतना ही नहीं मखाना की खेती कैसे होती है, इसे समझने के लिए शिवराज सिंह खुद तालाब में उतरे, जिसके बाद उन्होंने किसानों की समस्या को समझा और कांटे रहित बीज के बारे में बात की. दरअसल, बिहार के दौरे पर आए शिवराज सिंह चौहान ने मखाना की खेती करने वाले किसानों को बड़ी सौगात दी है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आईसीएआर के लोग और रिसर्च सेंटर के लोग इस बात पर काम करें कि कांटे रहित मखाना बीज कैसे विकसित किया जाए.