
हरियाणा कृषि एवं कल्याण विभाग ने उन फर्टिलाइजर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है जिनके खिलाफ अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं. राज्य के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने बड़ा कदम उठाते हुए अनियमितताओं की पक्की शिकायतों के बाद चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की तरफ से बनाए गए पेस्टिसाइड्स और 11 फर्टिलाइजर्स की बिक्री पर तुरंत बैन लगा दिया है.
अंबाला में एग्रीकल्चर के डिप्टी डायरेक्टर (DDA)जसविंदर सिंह सैनी ने बताया कि विभाग के निदेशक की तरफ से 9 दिसंबर को एक आदेश जारी किया गया था. यह एक्शन यूरिया और DAP जैसे सब्सिडी वाले फर्टिलाइजर को कंपनी के अपने प्रोडक्ट्स के साथ जबरदस्ती टैग करने, गलत सेल्स प्रैक्टिस और दूसरे राज्यों में बने पेस्टीसाइड्स की बिना इजाजत बिक्री के आरोपों के बाद आया है. यह मामला तब शुरू हुआ जब अंबाला के एक डिस्ट्रीब्यूटर ने जन संवाद पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई. जो आरोप लगाए गए उनमें कंपनी पर जबरदस्ती टैगिंग करने का आरोप लगाया गया था. बताया जा रहा है कि कंपनी ने किसानों को 44 लाख के उत्पाद जबरन बेचे थे.
डायरेक्टर ने मामले की जांच की और आरोपों की पुष्टि करते हुए डिपार्टमेंट हेडक्वार्टर को एक डिटेल्ड रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट के आधार पर, डिपार्टमेंट ने पूरे जिले में कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगाने के लिए तेजी से कदम उठाए. इस निर्देश के बाद, अंबाला जिले के सभी डिस्ट्रीब्यूटर को चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के सभी पेस्टिसाइड की बिक्री तुरंत रोकने का आदेश दिया गया है. सभी पेस्टिसाइड इंस्पेक्टर को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो बैन को सख्ती से लागू करें और बिना देर किए रोक लगाने की प्रक्रिया को लागू करें. डायरेक्टर ने कहा कि विभाग किसानों के हितों की रक्षा करने और खेती के सामान के डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
यह ताजा घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया है कि उसने 5,371 फर्टिलाइजर कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हाल ही में राज्यसभा को यह जानकारी दी. सरकार ने कालाबाजारी, जमाखोरी और घटिया गुणवत्ता की खाद का वितरण करने के मामलों में बड़ी तादाद में कंपनियों को बैन कर दिया है. केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत खाद के डायवर्जन, जमाखोरी और ज्यादा कीमत वसूलने जैसी गड़बड़ियों पर कार्रवाई की है.
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