यूपी में खाद का संकट बरकरार, गेहूं की बुवाई लेट होने से बढ़ने लगी किसानों की चिंता

यूपी में खाद का संकट बरकरार, गेहूं की बुवाई लेट होने से बढ़ने लगी किसानों की चिंता

किसानों का कहना है कि दिनभर इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है और अगले दिन फिर लाइन लगानी पड़ती है. किसानों ने कहा कि वो लोग गेहूं की फसल के लिए जिस महीन खाद की मांग कर रहे हैं.

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क‍िसान तक
  • Barabanki,
  • Dec 20, 2025,
  • Updated Dec 20, 2025, 4:02 PM IST

उत्तर प्रदेश में खाद की कीमत और उपलब्धता को लेकर किसान परेशान हैं. ऐसी ही खबर बाराबंकी जिले से आई है. जहां सरकारी खाद केंद्रों पर खाद तो मिल रही है, लेकिन मोटे दाने की खाद उपलब्ध है. वहीं, अच्छी क्वालिटी वाली महीन खाद की भारी कमी बनी हुई है. मजबूरन किसान मोटी खाद का इस्तेमाल करने को विवश हैं, जिससे फसलों की क्वालिटी पर असर पड़ रहा है. किसानों को सुबह से ही लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन्हें जरूरत वाली खाद नहीं मिल पा रही है.

किसानों को नहीं मिल रहा महीन खाद

किसानों का कहना है कि दिनभर इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है और अगले दिन फिर लाइन लगानी पड़ती है. किसानों ने कहा कि वो लोग गेहूं की फसल के लिए जिस महीन खाद की मांग कर रहे हैं, वह केंद्रों पर नदारद है, जबकि मोटे दाने की खाद उपलब्ध कराई जा रही है. किसान और पेशे से अधिवक्ता रणधीर सिंह का आरोप है कि खाद की किल्लत के पीछे काला बाजारी एक बड़ी वजह है. उनका कहना है कि सरकारी केंद्रों पर अच्छी खाद नहीं मिलती, जबकि निजी खाद केंद्रों पर खाद के साथ जबरन जिंक और अन्य उत्पाद थमा दिए जाते हैं.

खाद केंद्रों पर नहीं उपलब्ध है महीन खाद

वहीं, बाराबंकी स्थित इफको खाद केंद्र पर भी यूरिया की किल्लत देखने को मिली. केंद्र प्रभारी गुलाम अब्दुल कादिर के अनुसार, आज केंद्र पर 232 बैग यूरिया आए थे, जो कुछ ही समय में बिक गए. फिलहाल केंद्र पर खाद खत्म हो चुकी है, हालांकि कल नया लोड आने की बात कही जा रही है. उधर, सरकारी खाद केंद्र पीसीएफ फतेहाबाद में भी यही स्थिति है. वहां मोटी खाद तो मौजूद है, लेकिन महीन खाद उपलब्ध नहीं है. खाद लेने पहुंचे किसानों को मजबूरी में वही खाद लेनी पड़ रही है, जो उनकी फसल के लिए उपयुक्त नहीं है.

खाद की कालाबाजारी से हो रही दिक्कत

कुछ किसानों ने कहा कि हम महीन खाद लेने आए थे, लेकिन यहां सिर्फ मोटी खाद मिल रही है. गेहूं की फसल में महीन खाद ज्यादा अच्छी होती है, लेकिन मजबूरी में मोटी खाद लेनी पड़ रही है. खाद की कालाबाजारी की वजह से हमेशा कमी बनी रहती है. सरकारी केंद्रों पर अच्छी खाद नहीं मिलती और प्राइवेट केंद्रों पर खाद के साथ जबरदस्ती जिंक दिया जाता है.

कुल मिलाकर, रबी सीजन के अहम समय में महीन खाद की इस किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस समस्या पर कब तक प्रभावी कदम उठाता है. हालांकि मोटी खाद्य सेंटरों पर है, लेकिन प्राइवेट सेंटरों पर खाद के साथ किसानों को जिंक जबरदस्ती दी जा रही है.

कालाबाजारी पर सीएम योगी का सख्त निर्देश

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो टूक शब्दों में कहा है कि मिलावटी और नकली खाद बेचने वालों और खाद की कालाबाजारी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अन्नदाता किसान को यदि खाद को लेकर कोई भी समस्या हुई तो जवाबदेही तय होगी और दोषी चाहे किसी भी स्तर का हो, कार्रवाई से नहीं बचेगा. (सैयद रेहान मुस्तफा रिज़वी की रिपोर्ट)

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