खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO-Oilseeds) को मंजूरी दे दी है. इसके तहत किसानों को तिलहन फसलों की बुवाई के लिए प्रेरित किया जाएगा. किसानों को तिलहन फसलों के जलवायु अनुकूल उत्तम बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. योजना को देश के 21 राज्यों के 347 जिलों में शुरू किया जाएगा. बीते वर्ष से तिलहन फसलों की बुवाई को लेकर जारी अभियानों के चलते इस बार खरीफ सीजन में पिछले वर्ष की तुलना में 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक तिलहन फसलों की बुवाई की गई है. जबकि, तिलहन मिशन का उद्देश्य तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है.
तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाने पर केंद्र सरकार का जोर है, ताकि खाद्य तेलों को आयात में कमी लाई जा सके और इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर बना जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO Oilseeds) मिशन को मंजूरी दे दी है. यह मिशन 2024-25 से 2030-31 तक 7 साल की अवधि में क्रियान्वित किया जाएगा. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन–तिलहन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,103 करोड़ के बजट को भी स्वीकृति दी है. इससे खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO Oilseeds) मिशन के तहत किसानों को तिलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. किसानों को तिलहन पहल के तहत मुफ्त बीज दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार नए स्वीकृत राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन के तहत 21 राज्यों के 347 जिलों के किसानों को मुफ्त प्रजनक, आधार और प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO-Oilseeds) का प्राथमिक उद्देश्य तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है.
राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO-Oilseeds) के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई, कृषि मशीनें, फसल बीमा, मधुमक्खी पालन और कृषि ऋण जैसी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. प्रॉसेसिंग यूनिट को एग्री इंफ्रा फंड के जरिए वित्तीय सहायता दी जाएगी. किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाई जाएगी. एफपीओ, सहकारी समितियों और निजी उद्योगों को फसल से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोजेक्ट बेस्ड सपोर्ट दिया जाएगा और बीज संग्रह और तेल यूनिट क्षमता में सुधार करने के लिए सहायता दी जाएगी.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन में तिलहन फसलों का बुवाई क्षेत्रफल 193.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र दर्ज किया गया है, जो बीते साल के 190.92 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 3 लाख हेक्टेयर अधिक है. इस बार सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी की किसानों ने जमकर बुवाई की है. हालांकि, तिल, रामतिल और अरंडी फसलों के बुवाई क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है. राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन के तहत तिलहन फसलों का रकबा 210 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचाना है.