
उत्तर प्रदेश में खाद की कीमत और उपलब्धता को लेकर किसान परेशान हैं. कई जिलों में किसानों को सुबह से ही लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है. किसानों का कहना है कि दिनभर इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है और अगले दिन फिर लाइन लगानी पड़ती है. वहीं, सरकारी दावे लगातार यह कहते हैं कि खाद की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट नजर आ रही है.
'आज तक' की टीम लखनऊ के अलग-अलग खाद केंद्रों पर पहुंची, जहां हालात काफी चौंकाने वाले दिखे. मोहनलालगंज स्थित एक केंद्र पर भारी भीड़ देखी गई. किसान सुबह से खाद के इंतजार में खड़े हैं, लेकिन कई लोगों को बिना खाद लिए ही वापस लौटना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि वे कल से ही आ रहे हैं, आज भी इंतजार किया लेकिन खाद नहीं मिली. मजबूरी में उन्हें फिर अगले दिन आने को कहा जा रहा है.
बुजुर्ग किसान राम मिलन सुबह से लाइन में खड़े रहे, लेकिन अब तक खाद नहीं मिल पाई है और यह भी साफ नहीं है कि कब मिलेगी. किसान के अंगूठे की रेखाएं मिट गईं जिसकी वजह से अंगूठे से फिंगरप्रिंट नहीं लग पा रहा है. अब किसान परेशान है कि आखिर खाद कैसे लें, एक नई मुसीबत उसके सामने है.
मोहनलालगंज के मऊ इलाके में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. 'आज तक' की टीम के पहुंचने पर देखा गया कि किसान झुंड की तरह खाद लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं. किसानों का दावा है कि सुबह से खड़े होने के बावजूद खाद नहीं दी जा रही है. ऐसे में खेतों में पानी और खाद कैसे डालें, यह उनके लिए बड़ी चिंता बन गया है. कई किसानों का कहना है कि वे अपने जरूरी काम छोड़कर लाइन में लगे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है.
अमित सिंह, जो करीब 10 किलोमीटर दूर से खाद लेने आए हैं, उनका कहना है कि सरकार कहती है खाद उपलब्ध है, लेकिन हकीकत यह है कि घंटों इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिल रही. किसानों के लिए यह स्थिति एक बड़ी मुसीबत बनती जा रही है.
खाद की तय रेट से अधिक कीमत वसूलने को लेकर जहां सीएम योगी खाद विक्रेताओं के विरुद्ध रासुका लगाने की बात कर रहे हैं, वहीं यूपी के इंडो नेपाल बॉर्डर के इलाके के किसान खाद की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं. बहुउद्देशीय ग्रामीण सहकारी समितियों पर खाद उपलब्ध न होने से सन्नाटा पसरा है. इसके चलते किसानों को मायूसी का शिकार होना पड़ रहा है. हालत यह हो गई है कि किसान को सहकारी समितियों के उप केंद्रों से खाद की जगह गाली गलौज का सामना करना पड़ रहा है.
ताजा मामला बहराइच जिले के इंडो नेपाल सीमा क्षेत्र में संचालित बहुउद्देशीय ग्रामीण सहकारी समिति रायबोझा के उपकेंद्र शंकरपुर थाना रूपईडीहा का है. यहां किसानों को बिक्री की जाने वाली यूरिया खाद लेने गए बस्ती गांव निवासी किसान रंजीत वर्मा ने जब केंद्र संचालक पंकज मिश्रा से दो बोरी यूरिया खाद मांगी तो उन्होंने खाद देने से इनकार कर दिया. बदले में गाली-गलौज पर उतर आए. इसके विरोध में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया.