क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन की वजह से सूखा पड़ना और फसलों में कीट एवं रोग लगने के मामले पिछले कुछ सालों से लगातार बढ़ रहे हैं. जलवायु परिवर्तन सरकार, किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए पिछले कुछ सालों में एक प्रमुख चुनौती के रूप में उभरा है. इससे भविष्य में उपज नहीं प्रभावित हो उसके लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनाजों की जलवायु अनुकूल किस्में विकसित की जा रही हैं. इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI), फिलीपींस के सहयोग से आईसीएआर रिसर्च कॉम्प्लेक्स ईस्टर्न रीजन, पटना द्वारा 'स्वर्ण उन्नत धान' और 'स्वर्ण सुखा धान' नामक धान की दो जलवायु अनुकूल किस्में विकसित की गई हैं. इन किस्मों की उत्पादन क्षमता 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. ऐसे में आइए आज इन दोनों किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
स्वर्ण उन्नत धान (IET 27892), एक ज्यादा उपज वाली धान की किस्म है, जिसकी खेती बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य में सिंचित क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है. यह किस्म 115-120 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं उपज 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. धान की यह किस्म सूखा, रोग और कीट प्रतिरोधी है. इस धान के चावल लंबे और पतले होते हैं. स्वर्ण उन्नत धन सिंचित क्षेत्रों के साथ-साथ पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रोपाई की स्थिति में खेती के लिए उपयुक्त है.
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गुणवत्ता के लिहाज से, स्वर्ण उन्नत धान में 77.7% हलिंग, 67.4% मिलिंग, 63.2% हेड राइस रिकवरी (एचआरआर) पाया जाता है. इस धान के चावल लंबे और पतले होते हैं. इसके अलावा, स्वर्ण उन्नत धान बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, फाल्स स्मट (हल्दी गांठ), शीथ रॉट, पत्ती झुलसा रोग, भूरी चित्ती, तना छेदक जैसे प्रमुख कीट एवं रोगों के प्रति प्रतिरोधी है.
स्वर्ण सुखा धान (IET 24692), एक ज्यादा उपज वाली चावल की किस्म है. उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा नहीं है, वर्षा आधारित खेती होती है उन क्षेत्रों में सीधी बुवाई के लिए धान के इस किस्म को अनुशंसित किया गया है. धान की किस्म ‘स्वर्ण सुखा धान’ 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यह अर्ध-बौना किस्म है. अगर उपज की बात करें तो धान के इस किस्म की उपज 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह सूखा, रोग और कीट प्रतिरोधी किस्म है. चावल मध्यम पतला होता है.
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स्वर्ण सुखा धान, उत्तर प्रदेश के वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों के अलावा समतल और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीधी बुवाई की स्थिति में खेती के लिए उपयुक्त है. वहीं गुणवत्ता के लिहाज से, स्वर्ण सुखा धान में 78.4% हलिंग, 70.9% मिलिंग, 68.4% हेड राइस रिकवरी (एचआरआर) है. इस धान का चावल मध्यम पतला होता है. इसके अलावा, ‘स्वर्ण सुखा धान’ बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, फाल्स स्मट (हल्दी गांठ), शीथ ब्लाइट, पत्ती झुलसा रोग, भूरी चित्ती, तना छेदक जैसे प्रमुख कीट एवं रोगों के प्रति प्रतिरोधी है.