देश में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. कई राज्यों में किसान रबी की फसलों की खेती करने में जुट गए हैं. ऐसे में रबी फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए बिहार सरकार की ओर से एक एडवाइजरी जारी की गई है. इसमें बताया गया है कि किसान रबी फसलों की खेती करने से पहले अपने बीजों का उपचार किस विधि से करें. बता दें कि फसलों के लिए बीजों का उपचार करना जरूरी होता है. बीजों का उपचार करने से कई फायदे होते हैं. आइए जानते हैं कि फसलों के बीजों का उपचार कैसे करें.
सीड ड्रम विधि: इस विधि से बीज उपचार करने के लिए सीड ड्रम में बीज डालकर उसमें बीज उपचार के लिए दवाओं को सही मात्रा में डालकर उसमें लगे हैंडल के सहारे ड्रम को इतना घुमाएं कि बीज के परत पर दवा चढ़ जाए.
घड़ा विवि: घड़ा विधि में थोड़ा बीज और सही मात्रा में दवा डालते हैं. फिर उसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके घड़े का दो-तिहाई भाग भर देते हैं. इसके बाद घड़े के मुंह को बंद कर इतना हिलाते हैं कि बीज और दवाएं अच्छी तरह मिल जाएं.
स्लरी विधि: इस विधि में दवाओं को सही मात्रा का गाढ़ा घोल बनाकर बीज के ढेर पर डाल दें. फिर उसे हाथों में ग्लव्स पहन कर हाथों से अच्छी तरह मिला दें, ताकि बीज पर दवाओं की परत चढ़ जाए.
घोल विधि: इस विधि में दवाओं की मात्रा का घोल पानी की निर्धारित मात्रा में बनाकर उसमें बीज को कुछ समय तक डुबोकर रखा जाता है. इस विधि से बीज के ऊपर दवाएं अच्छी तरह से चढ़ जाती हैं. वहीं, आलू के बीज का उपचार इसी विधि से करना सबसे बेहतर होता है.
दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार करना चाहिए. इसके लिए 250 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में घोल लिया जाता है. फिर गुड़ की चाशनी बनने पर इसे ठंडा करके इसमें राइजोबियम को मिला दिया जाता है. इसके बाद उसमें बीज को डालकर मिला लें. फिर चाशनी से बीज को निकालने के बाद कभी भी धूप में न सुखाएं. उपचारित बीज को सुखाने के लिए खुली लेकिन छायादार जगह का चुनाव करें. वहीं, बीज को उपचारित करते समय हाथ में दस्ताना पहन कर ही बीज उपचार करें.
आजकल कृषि वैज्ञानिक हर फसल की बुवाई से पहले बीज उपचार की सलाह देते हैं. बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बीज उपचार करना अति महत्वपूर्ण है. अगर बीज का उपचार न किया जाए, तो फसलों में बहुत से रोगों के आक्रमण होने का खतरा बना रहता है. बीजोपचार एक सस्ती और सरल तकनीक है और इसे अपनाने से किसान बीज और मिट्टी जनित रोगों से अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं. साथ ही बीज का उपचार करने से फसल के क्वालिटी और उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.