सर्दी के मौसम में इंसानों को ही नहीं बल्कि तालाब में पलने वाली मछलियों को भी ठंड का सामना करना पड़ता है. खासतौर से जब शीतलहर चल रही हो तो उस दौरान तालाब के पानी का तापमान काफी नीचे चला जाता है. ऐसे में मछलियों को बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में मछली पालन करने वाले किसानों की चिंता बढ़ जाती है. मछलियों के लिए ठंड का मौसम काफी मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में कई तरह की बीमारियां भी आ जाती हैं.
असल में मछलियों के लिए सबसे अनुकूल तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस माना जाता है लेकिन सर्दी के मौसम में यह तापमान घटकर 10 डिग्री से नीचे चला जाता है. ऐसे में मछलियों की दैनिक गतिविधियां जैसे पाचन क्षमता, श्वसन दर, प्राकृतिक आहार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ.अखिलेश दुबे ने बताया कि तालाब में नियमित रूप से ताजा पानी भरते रहे जिससे कि तापमान में वृद्धि होगी.
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सर्दी के मौसम में जब तापमान 10 डिग्री से कम हो जाता है. ऐसे में तालाब के पानी का तापमान भी काफी नीचे चला जाता है. इस स्थिति में तालाब की मछलियां निचली सतह पर आ जाती है. कम तापमान में मछलियों के पाचन क्षमता के साथ-साथ उनकी भोजन ग्रहण करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे ने बताया की मछलियों को जीवित रखने के लिए तालाब का तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस रखना जरूरी होता है. इसके लिए 3 से 4 घंटे तक बोरवेल का ताजा पानी तालाब में भरना चाहिए. वही ऑक्सीजन टैब की ढाई सौ ग्राम गोलियां सूखे बालों में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. तलाब में गोबर जरूर डालना चाहिए. वही मछलियों को आहार देने के समय में जरूर बदलाव करना चाहिए क्योंकि ठंड में मछलियां कम आहार ग्रहण करती हैं. जब धूप निकले उस दौरान मछलियों को आहार देना चाहिए. वही पहले से उसकी मात्रा कम होनी चाहिए नहीं तो मछली पालकों का आहार नुकसान चला जाएगा.
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे ने बताया ठंड के दौरान मछलियों में कोई खास बीमारी नहीं होती है लेकिन कभी-कभी मछलियों में लाल घाव की बीमारी हो जाती है जिसको तालाब में समय-समय पर जाल चलाकर निरीक्षण करना चाहिए. अगर ऐसी कोई बीमारी मछली पालकों को दिखाई दे तो अपने नजदीकी मत्स्य पालन केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें.
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