बेल की ये है उन्नत प्रजाति, बाजारों में है इनकी खूब डिमांड

बेल की ये है उन्नत प्रजाति, बाजारों में है इनकी खूब डिमांड

बेल को देश के अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इसे बेलगिरी तो कहीं बेलघाट या कैथा नाम से भी जाना जाता है. बेल का फल औषधीय गुणों से भरा हुआ है. इस फल के सेवन मात्र से ही दर्जन भर से ज्यादा गंभीर बीमारियों की रोकथाम में सफल साबित हुआ है.

बेल की उन्नत किस्म बेल की उन्नत किस्म
धर्मेंद्र सिंह
  • lucknow ,
  • Dec 27, 2022,
  • Updated Dec 27, 2022, 5:01 PM IST

     


    बेल को देश के अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इसे बेलगिरी तो कहीं बेलघाट या कैथा नाम से भी जाना जाता है. बेल का फल औषधीय गुणों से भरा हुआ है. इस फल के सेवन मात्र से ही दर्जन भर से ज्यादा गंभीर बीमारियों की रोकथाम में सफल साबित हुआ है. बेल में यल्कलाइड, फ्लेवोनॉयड्स, फेनोल्स व कई तरह के फाइटो केमिकल्स पाए जाते हैं. बेल के फल की गूदे में अत्यधिक ऊर्जा प्रोटीन, फाइबर समेत कई तरह के विटामिंस और खनिज पाए जाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में बेल एक पवित्र पौधा माना जाता है. बेल की पत्तियों को शिव मंदिरों में चढ़ाया जाता है. बेल के फलों को पूजा सामग्री के साथ-साथ औषधियों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. इसी वजह से बाजारों में बेल के फल की डिमांड पूरे साल भर बनी रहती है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ देवेंद्र पांडे ने किसान तक को बताया की बेल हर प्रकार की जलवायु में भली-भांति उग सकता है. यह ऊसर और बंजर जमीन पर भी उग जाता है. उत्तर प्रदेश में सीआईएसएच-1 और नरेंद्र बेल - 5 प्रजाति सबसे ज्यादा प्रचलित है. इन दोनों प्रजातियां के फलों का साइज काफी बड़ा होता है. साथ में इन दोनों प्रजातियों से उत्पादन भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है.


    बेल की यह है उन्नत प्रजाति


    बेल की वैसे तो देश में कई प्रजातियां हैं, लेकिन नरेंद्र बेल 5, नरेंद्र बेल-9, सीआईएसएच-1 प्रजाति का बेल सबसे ज्यादा उगाया जा रहा है. इन प्रजातियों की बेलों के फल का आकार काफी बड़ा होता है. इनसे उत्पादन भी काफी ज्यादा मिल जाता है.

    नरेंद्र बेल-5

    नरेंद्र बेल-5 प्रजाति का पौधा मध्यम ऊंचाई का होता है. इसमें 4 से 5 वर्ष बाद फल आने लगते हैं. इस प्रजाति के पौधों पर फलों का आकार गोल होता है. इसका औसत भार 2 किलोग्राम तक होता है. 7 वर्ष पर प्रति वृक्ष फलों की संख्या 50 से 60 किलोग्राम तक है. इस प्रजाति के फल में घुलनशील पदार्थ 41% हैं. यह कई तरह के कीटों से पूरी तरह सुरक्षित है.

    नरेंद्र बेल-9

    इस प्रजाति का पौधा मध्यम ऊंचाई का होता है. इस पौधे में 4 साल के बाद फल आने शुरू हो जाते हैं. इस प्रजाति के बेल का आकार नाशपाती जैसी गोलाई में होता है. इसके फल का औसत भार 2 किलोग्राम तक होता है. इस प्रजाति के पौधे 7 वर्ष की उम्र पर 45 से 50 किलोग्राम फल देते हैं.


    सीआईएसच-1

    सीआईएसच बेल केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित की गई एक प्रजाति है. अंडे की शेप में इसका फल होता है. इसके फल का आकार डेढ़ किलोग्राम तक होता है. इसके फल में गुदा ज्यादा होता है, जबकि बीज कम पाया जाता है. वहीं यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस प्रजाति के पेड़ से एक बार में 50 से 60 किलोग्राम तक फल प्राप्त होता है.

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    औषधीय गुण  से भरपूर है बेल का फल

    आयुर्वेद में बेल फल का उदर रोगों में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है. बेल के फल में विभिन्न प्रकार के एल्कलाइड, सेपोनिन्स, फ्लेवोनाइड्स, फिनोल्स व कई तरह के फाइटो केमिकल्स पाए जाते हैं. बेल के फल के गूदे में प्रोटीन, फाइबर, विभिन्न प्रकार के विटामिन व खनिज व एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है. इसमें विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं के खिलाफ अच्छा जीवाणुरोधी गतिविधि पाई जाती है. बेल का पौधा हर एक प्रकार की जलवायु में भली-भांति उग जाता है.

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