सेब और गुठलीदार फलों पर लग रहे कीट? बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

सेब और गुठलीदार फलों पर लग रहे कीट? बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

बरसात का मौसम आते ही कई फसलों और फलों में कीट लगने की समस्या बढ़ जाती है. ऐसा ही एक रिपोर्ट आया है जिसमें सेब और गुठलीदार फलों में कीट लगने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में बचाव के लिए किसान इन उपायों को अपना सकते हैं.

सेब में लग रहे कीट सेब में लग रहे कीट
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 29, 2025,
  • Updated Jun 29, 2025, 12:30 PM IST

हाल ही में सेब और अन्य गुठलीदार फलों में बीटल (कीट) के संक्रमण की रिपोर्ट आई है. पत्ते खाने वाले ये कीट मई या जून में काफी सक्रिय हो जाता है. ये कीट बहुभक्षी होते हैं. वहीं, ये कीट गर्मियों और बारिश के दौरान एक्टिव होते हैं. साथ ही बरसात आते हैं इसके वयस्कों के उभरने के बाद मिट्टी में अंडे देते हैं. अंडे की अवधि प्रजातियों के आधार पर कुछ हफ्तों से लेकर एक महीने से अधिक तक होती है. ऐसे में इस कीट से फसलों को बचाने के लिए डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा वैज्ञानिक सिफारिश जारी की गई है.  

ये है कीट की पहचान 

लार्वा अवस्था (सफ़ेद ग्रब):अंडे से निकला नवजात शिशु शुरू में मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ और ह्यूमस खाता है और बढ़ने पर पौधों की जड़ों को भोजन बनाता है. इसकी पहचान इसका ग्रब C-आकार, सफेद शरीर और भूरे रंग है. बता दें कि ये कीट सर्दियों के दौरान मिट्टी में गहराई तक चले जाते हैं और सर्दियों के दौरान निष्क्रिय रहते हैं. वहीं,  बरसात आते ही  फिर सक्रिय हो जाते है.  ये लार्वा मिट्टी में रहते हैं और सेब, आडू और गुठलीदार फलों जैसी फसलों की जड़ों के साथ-साथ आलू, गाजर और टमाटर जैसी सब्जियों के साथ साथ सजावटी पौधे को खाते हैं.  

फलों पर कीट का असर

सफ़ेद ग्रब द्वारा जड़ों को खाने से पौधे की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और पोषक तत्वों और पानी के अवशोषण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे पौधे का मुरझाना और ग्रोथ रूक जाता है. इससे पौधे को अधिक क्षति  के कारण  पूरा पौधा के गिरने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. वयस्क कीट पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर पत्ते खाए हुए नजर आते हैं. यह नुकसान न केवल पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्षमता को कम करती है, बल्कि उत्पादकता को भी कम करती है. कुछ बीटल पौधों के प्रजनन भागों के लिए को ही खा जाते हैं जिससे काफी नुकसान होता है.

कीट से बचाव के उपाय

इन कीटों को प्रभावी ढंग से बचाव करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) विधि का इस्तेमाल करना चाहिए. जिन खेतों में कीट का संक्रमण पहले से है उनको अप्रैल-मई या सितंबर के दौरान बार-बार जोता जाना चाहिए. खेत की जुताई से मिट्टी में ग्रब धूप  में बाहर आ जाते है और उन्हें पक्षियां अपना  भोजन बना लेती हैं.

कीट को नष्ट करने का उपाय 

इसके अलावा जुताई के दौरान उपरि सतह पर निकले व्हाइट ग्रब को पकड़कर इकट्ठा करें और उन्हें नष्ट कर दें.  शुरुआती अवस्था में ग्रब आंशिक रूप से विघटित कार्बनिक पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि खेत में केवल पूरी तरह से सड़े हुए गोबर की खाद ही डालें, जो ग्रब के विकास को रोकती है और मिट्टी के लाभकारी जीवों का विकास करती है. चूंकि वयस्क का उभरना आम तौर पर पहली गर्मियों और बारिश के साथ होता है, इसलिए इस स्तर पर उनको इकट्ठा करना और नष्ट करना एक प्रभावी और कुशल उपाय है.

वयस्क कीट आमतौर पर शाम 8 बजे के बाद पत्ते और फलों को खाने के लिए आते हैं.  ऐसे में पेड़ों की शाखाओं को हिलाकर और पेड़ के नीचे कपड़ा बिछाकर कीटों को इकट्ठा किया जा सकता है. इसके अलावा कीटों को केरोसिन (5%) मिश्रित पानी में डुबोकर नष्ट करें या मार दें.  

लाइट ट्रैप से बचाएं फल

लाइट ट्रैप मुख्य रूप से निगरानी के उद्देश्य से उपयोग किए जाते हैं. हालांकि, उनका उपयोग वयस्क कीटों को आकर्षित करने और मारने के लिए भी किया जा सकता है. इन ट्रैप को खुले क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिए ताकि आकर्षण को अधिकतम किया जा सके और उनकी जनसंख्या में कमी लाई जा सके. गर्मियों की बारिश के बाद सामूहिक स्तर पर यह अभियान शुरू किया जाना चाहिए, जो किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं पौध संरक्षण के रूप में प्राकृतिक विधि से तैयार अस्त्र जैसे कि अग्नि अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी अर्क (3 लीटर/ 100 लीटर पानी) की दर से तीन दिनों तक लगातार छिड़काव करके कीट को रोका जा सकता है. 

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