Sugarcane insects: गन्ने के 3 बड़े दुश्मन 100 रुपये में होंगे खत्म, केमिकल से मिलेगी छुट्टी, फसल होगी शानदार

Sugarcane insects: गन्ने के 3 बड़े दुश्मन 100 रुपये में होंगे खत्म, केमिकल से मिलेगी छुट्टी, फसल होगी शानदार

मॉनसून में गन्ने को 3 बेधक कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं. रासायनिक दवाओं का छिड़काव मुश्किल और कम प्रभावी होता है. इसका सस्ता और असरदार समाधान है ट्राइकोकार्ड. मात्र 100 रुपये में दो कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं. ये परजीवी कीट दुश्मनों के अंडे खाकर उन्हें खत्म कर देते हैं. इससे फसल की लागत घटती है और उपज बढ़ती है जिसके बारे में एक्सपर्ट ने खास जानकारी दी है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 03, 2025,
  • Updated Jul 03, 2025, 1:46 PM IST

मॉनसून का मौसम आते ही गन्ने की फसल तेजी से बढ़ने लगती है, और इसी समय गन्ने को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है. रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव इस समय मुश्किल हो जाता है, और बारिश के कारण उनका असर भी कम हो जाता है, जिससे किसानों की लागत बढ़ जाती है. हाल के वर्षों में बोरर कीटों से गन्ने की फसल का काफी नुकसान देखा जा रहा है, जिसमें चोटी बेधक कीट (टॉप शूट बोरर) सबसे अधिक हानिकारक है, जो मार्च से लेकर फसल की कटाई तक नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा, जड़ बेधक (रूट बोरर) और तना बेधक (स्टेम बोरर) भी गन्ने को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं.

गन्ने के सबसे बड़े दुश्मन कीट

गन्ने की फसल को  सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य तीन कीट इस प्रकार हैं-

चोटी बेधक या टॉप शूट बोरर- यह कीट गन्ने की फसल में मार्च से सितंबर तक सभी अवस्थाओं में हमला करता है. इसके प्रकोप से गन्ने की पत्तियां सूखने लगती हैं और पौधे मुरझा जाते हैं, जिसे डेड हार्ट कहते हैं. गन्ने की मध्य शिरा में एक लाल धारी पड़ जाती है और विकसित गन्ने में झाड़ीनुमा सिरा बन जाते हैं, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है.
जड़ बेधक या रूट बोरर- इस कीट की सूंडी (लार्वा) छोटे और बड़े, दोनों ही पौधों पर पाई जाती है. सूंडी जमीन से लगे गन्ने के निचले हिस्से में सुराख बनाकर अंदर घुस जाती है और पौधे को नुकसान पहुंचाती है, जिससे पौधे सूख जाते हैं. सूखे हुए पौधों से कोई दुर्गंध नहीं आती, जिससे इसका पता लगाना और नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है.
तना बेधक या स्टेम बोरर- तना बेधक कीट का प्रकोप विशेष रूप से वर्षा काल के बाद जल भराव की स्थिति में अधिक होता है. यह कीट तनों में छेद करके अंदर प्रवेश कर जाता है और पोरियों के अंदर का गूदा खा जाता है, जिससे उपज में भारी कमी आती है.

100 रुपये में तीनों कीटों से पाएं छुटकारा

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर की कीट वैज्ञानिक डॉ नीलम कुरील ने बताया कि महंगे रासायनिक कीटनाशकों के बजाय, किसान अब ट्राइकोकार्ड का उपयोग करके इन कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं. एक ट्राइकोकार्ड की कीमत बाजार में लगभग 50 रुपये होती है, और गन्ने के एक खेत के लिए आमतौर पर दो कार्ड की जरूरत होती है. यानी कुल 100 रुपये का खर्च. एक ट्राइकोकार्ड में परजीवी कीट ट्राइकोग्रामा (Trichogramma) के लगभग 10,000 अंडे होते हैं.

इन कार्डों को चार-चार टुकड़ों में काटकर खेत में गन्ने की निचली पत्तियों पर रस्सी या स्टेपलर से बांध दिया जाता है. कार्ड में मौजूद परजीवी कीट तितली बनकर निकलते हैं और गन्ने के दुश्मन कीटों जैसे चोटी बेधक, जड़ बेधक और तना बेधक के अंडों को खा जाते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ती ही नहीं. इस तरह, बेहद कम लागत और आसानी से ये तीनों प्रमुख कीट गन्ने के खेत से खत्म हो जाते हैं. अगर कीटों का प्रकोप ज्यादा हो, तो हर 15 दिन के अंतराल पर ट्राइकोकार्ड का उपयोग करना चाहिए.

ट्राइकोकार्ड प्रयोग के समय रखें खास ख्याल

जब आप ट्राइकोकार्ड का उपयोग कर रहे हों, तो किसी भी रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे ट्राइकोग्रामा के अंडे या परजीवी मर सकते हैं. बहुत अधिक बारिश के समय ट्राइकोकार्ड का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इससे कार्ड पर मौजूद अंडे धुल सकते हैं. यह जैविक तरीका किसानों को हजारों रुपये की रासायनिक दवाओं के खर्च से बचाता है और गन्ने की फसल को तीन सबसे बड़े दुश्मनों से सुरक्षित रखता है. ट्राइकोकार्ड गन्ना शोध संस्थान, चीनी मिलों, कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि से संबंधित दुकानों पर आसानी से मिल जाती है.

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