प्राकृतिक रबर की कीमतें 2022 की शुरुआत में जो लगभग 170 प्रति किलोग्राम थी वो अब RSS-4 ग्रेड के लिए लगभग एक चौथाई गिरकर वर्ष के अंत में 140 से नीचे आ गई है. इसका सबसे बड़ा कारण चीन और यूरोपियन देशों को बताया जा रहा है. रबर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार जून के महीने में 62 हजार टन प्राकृतिक रबर का उत्पादन हुआ था, जबकि पिछले साल जून में केवल 43.48 हजार टन रबर का उत्पादन हुआ था. बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया बेहतर मौसम और बाजार में रबर के अच्छे भाव के चलते उत्पादन में ऐसी वृद्धि हुई है. लेकिन, वहीं प्राकृतिक रबर के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन से खराब मांग और यूरोप के बाजारों में छाई मंदी को इसका कारण बताया जा रहा है.
रबर की कीमतों में आई गिरावट से लेटेक्स क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है. महामारी के दौरान हैंड ग्लोवस की मांग में अचानक वृद्धि के कारण रबर की आवश्यकता बढ़ गयी थी. इसका असर कीमतों पर भी देखने को मिला. 2021 में रबर की कीमतों में वृद्धि हुई थी. हालांकि, मांग में गिरावट के कारण कीमत जनवरी में 130 से गिरकर दिसंबर तक 190 प्रति किलोग्राम हो गई.
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (AIRIA) के अध्यक्ष रमेश केजरीवाल ने कहा कि रबर की कीमतों में गिरावट इस क्षेत्र के लिए दोहरी मार है, जो पहले से ही इनपुट लागत में अभूतपूर्व वृद्धि से परेशान है.
भारत 12.50 टन की आवश्यकता के मुकाबले 7 लाख टन नैचुरल रबर का उत्पादन करता है. उन्होंने कहा कि 2025-26 तक 15 लाख टन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अधिक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में खेती का विस्तार करने की आवश्यकता है. वैश्विक नैचुरल रबर की मांग 2023 में तेज रिकवरी के बाद 2.8 प्रतिशत तक धीमी होने का अनुमान है.
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्रालय को निवेदन करते हुए कहा था कि प्राकृतिक रबर के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगता है, जबकि मिश्रित रबर के लिए यह केवल 10 प्रतिशत है. रबर के यौगिक रूपों (compound forms) में लगभग 90 प्रतिशत प्राकृतिक रबर होता है.ऐसे में सरकार से नैचुरल रबर आयात को कम से कम दो साल की अवधि के लिए प्रतिबंधित लगाने का अनुरोध किया गया है.
एक्यूमेन कैपिटल मार्केट (I) लिमिटेड के निदेशक सरथ एस पिल्लई ने कहा कि एनआर के लिए औद्योगिक मांग अगले साल मौन रहने की संभावना है क्योंकि वैश्विक आर्थिक विकास 2023 में केंद्रीय बैंकों द्वारा तंग मौद्रिक नीतियों के कारण प्रभावित होने की संभावना है. चीनी अर्थव्यवस्था की रिकवरी अभी भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि देश बढ़ते कोविड मामलों से जूझ रहा है.
रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक केएन राघवन ने कहा कि उत्तर-पूर्व में बड़े पैमाने पर रबर के रोपण की बहाली और विकास के तहत एक जीएम संयंत्र महत्वपूर्ण उपाय हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्वैच्छिक कार्बन एक्सचेंज के तहत रबर प्लांटेशन के लिए कार्बन क्रेडिट उपलब्ध कराने की संभावना का अध्ययन किया जा रहा है.
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