Soil Degradation: इतने समय बाद जरूर करवा लें खेत की मिट्टी की जांच, अनाज से भर जाएंगी बोरियां

Soil Degradation: इतने समय बाद जरूर करवा लें खेत की मिट्टी की जांच, अनाज से भर जाएंगी बोरियां

खेती में मिट्टी की जांच बहुत जरूरी होती है. इसका मुख्य उद्देश्य खेत की जरूरत के अनुसार उसे पोषक तत्व उपलब्ध करवाना है, जिससे कि उत्पादन तो बढ़ेगा ही, साथ ही लागत में भी कमी आती है. ऐसे में किसानों के लिए ये जानना जरूरी है कि कितने समय बाद मिट्टी की जांच करनी चाहिए.

मिट्टी का जांचमिट्टी का जांच
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 25, 2024,
  • Updated Nov 25, 2024, 11:53 AM IST

किसानों को उनकी मेहनत का फल तब बेहतर मिलता है, जब खेत की मिट्टी बिल्कुल स्वस्थ हो. ऐसे में किसानों को फसलों की खेती से पहले मिट्टी की जांच करना बेहद जरूरी होता है. यह किसानों के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे उन्हें अपनी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, उर्वरकों का उचित उपयोग करने और कृषि को सुरक्षित रखने की जानकारी मिलती है. ऐसे में अब किसानों के लिए ये जानना जरूरी है कि कितने समय बाद मिट्टी की जांच करनी चाहिए और कैसे करनी चाहिए. आइए जानते हैं.

इतने समय बाद करें मिट्टी जांच

खेती करने के लिए किसानों को हर तीन साल के अन्तराल पर अपनी भूमि की मिट्टी का परीक्षण एक बार जरूर करवा लेनी चाहिए. एक पूरी फसल चक्र के बाद मिट्टी का परीक्षण हो जाना अच्छा होता है. हल्की या जिस मिट्टी में कम उत्पादन होता हो वैसे मिट्टी के परीक्षण की अधिक आवश्यकता होती है. वहीं, साल में जब भी मिट्टी की स्थिति नमूने लेने योग्य हों, नमूने अवश्य एकत्रित कर लेना चाहिए. यह जरूरी नहीं कि मिट्टी का परीक्षण केवल फसल बोने के समय करवाया जाए.

कैसे बांधा जाता है नमूना

बता दें कि मिट्टी के नमूने को बांधने का भी एक तरीका होता है. हर नमूने को एक साफ कपड़े की थैली में डालें. ऐसी थैलियों में नमूने न डालें जो पहले खाद आदि के प्रयोग में लाई जा चुकी हो, या किसी और कारण से खराब हों. नमुना बांधने के लिए एक लेबल थैली के अंदर डालें और थैली अच्छी तरह से बंद करके उसके बाहर भी एक लेबल लगा दें.

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नमूना एकत्र करने की विधि

मिट्टी का नमूना लेने के लिए मिट्टी के ऊपर घास-फूस को साफ करें. भूमि की सतह से हल की गहराई (0-15 से.मी.) तक की मिट्टी की टुकड़ी लें. यदि आपको फावड़े या खुरपे का प्रयोग करना हो तो "V" के आकार में गहरा गड्ढा बनायें. अब एक ओर से ऊपर से नीचे तक 2-3 सें.मी. मोटाई की मिट्टी की एकसार टुकड़े काटें. फिर एक खेत में 10-12 अलग-अलग स्थानों से मिट्टी की टुकड़ियां लें और उन सबको एक भगोने या साफ कपड़े में इकट्ठा करें. अगर खड़ी फसल से नमूना लेना हो, तो मिट्टी का नमूना पौधों की कतारों के बीच वाली खाली जगह से लें. जब खेत में क्यारियां बना दी गई हों या कतारों में खाद डाल दी गई हो, तो मिट्टी का नमूना लेने के लिए विशेष सावधानी रखें.

नमूना रखने के ये हैं नियम

एक खेत के अलग-अलग स्थानों से लिए गए नमूने को छाया में रखकर सूखा लें. फिर हर नमूने के साथ नाम, पता और खेत के नम्बर का लेबल लगाएं. अपने रिकार्ड के लिए भी उसकी एक नकल रख लें. उसके बाद दो लेबल तैयार करें, एक थैली के अन्दर डालने के लिए और दूसरा बाहर लगाने के लिए, लेबल कभी भी स्याही से न लिखकर हमेशा बॉल पेन या कॉपिंग पेंसिल से लिखें.

जांच में इन बातों का रखें ध्यान

मिट्टी का सैंपल लेते समय कभी भी रासायनिक खाद की पट्टी वाली जगह से नमूना न लें, जिन स्थानों पर पुरानी बाड़, सड़क हो और जहां गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हों, वहाँ से मिट्टी का नमूना न लें. ऐसे भाग से नमूना न लें, जो बाकी खेत से अलग-अलग हो. अगर ऐसा नमूना लेना हो, तो इसका नमूना अलग रखें.

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