क्या मरियल से हैं लहसुन के पत्ते? फिर तो चुस्त गांठें भी नहीं बनेंगी, तुरंत करें ये उपाय

क्या मरियल से हैं लहसुन के पत्ते? फिर तो चुस्त गांठें भी नहीं बनेंगी, तुरंत करें ये उपाय

लहसुन की पत्तियां पीली पड़ने या मुरझाने के चार मुख्य कारण हैं. माहू का प्रकोप, पत्तियों पर धब्बा रोग, पानी की अधिकता और नाइट्रोजन खाद की कमी. इन चार में से कोई भी एक वजह लहसुन की पत्तियों को मुरझा सकती हैं या पीला कर सकती हैं. इससे पूरी फसल के चौपट होने का खतरा होता है. अगर पत्तियों पर ऐसा संकेत दिखे तो आपको क्या करना है, जान लीजिए.

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क्या मरियल से हैं लहसुन के पत्ते? फिर तो चुस्त गांठें भी नहीं बनेंगी, तुरंत करें ये उपायलहसुन की खेती में खादों का महत्वपूर्ण स्थान है

लहसुन ऐसी चीज है जिसका सबकुछ बिकता है. पत्ता से लेकर गांठ तक. लहसुन का औषधीय उपयोग भी है. इसलिए बहुत जरूरी है कि शुरू से ही लहसुन का पौधा स्वस्थ हो. लहसुन का पत्ता पूरी फसल को तंदुरुस्त रखने में मदद करता है. इसलिए अगर पत्ता मरियल या मुरझाया सा दिखे, तो आप तुरंत सावधान हो जाएं. एक्सपर्ट से सलाह लेकर तुरंत इस मुरझेपन का इलाज करें, वरना बाद में उपज और उसकी क्वालिटी दोनों से हाथ धोना पड़ जाएगा. आइए इसी के साथ जान लेते हैं कि लहसुन का पत्ता मरियल न हो, और अगर ऐसी स्थिति आ जाए तो किस खाद या दवा से इसका इलाज होगा.

लहसुन का पत्ता स्वस्थ रखना चाहते हैं तो उसे सूखी और ढीली मिट्टी में ही उगाएं. ध्यान रहे कि मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. लहसुन की फसल में पानी नहीं लगना चाहिए. पानी अधिक होने पर सबसे पहले उसके पत्ते खराब होते हैं, फिर कंद या गांठों पर असर होता है. इसका ध्यान रखते हुए लहसुन के खेत में जलनिकासी का पूरा बंदोबस्त करें. लहसुन का पत्ता तभी स्वस्थ रहता है जब उस पर सूर्य की पर्याप्त किरणें पड़ती हैं. इसलिए खेत के आसपास किसी तरह की रुकावट या बड़े-बड़े पेड़-पौधे नहीं होने चाहिए.

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ये चार कारण हैं जिम्मेदार

लहसुन की पत्तियां पीली पड़ने या मुरझाने के चार मुख्य कारण हैं. माहू का प्रकोप, पत्तियों पर धब्बा रोग, पानी की अधिकता और नाइट्रोजन खाद की कमी. इन चार में से कोई भी एक वजह लहसुन की पत्तियों को मुरझा सकती हैं या पीला कर सकती हैं. इससे पूरी फसल के चौपट होने का खतरा होता है. अगर पत्तियों पर ऐसा संकेत दिखे तो आपको क्या करना है, जान लीजिए.

  • अगर फसल में पर्याप्त यूरिया नहीं दी गई है तो सिंचाई या निराई-गुड़ाई के बाद यूरिया जरूर दें.
  • अगर खेत में पानी लगा हुआ है, तो तुरंत उसे निकालने का बंदोबस्त करें.
  • डाईथेन एम 45 की दो ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं. इस घोल को 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें. 
  • रोगर 1 मि.ली./लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो बार छिड़काव करें.
  • इसके अलावा, फसल में घुलनशील नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश 80 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें. इस छिड़काव का 15 दिनों में दोबारा दोहराव करें.  

पत्तियों के पीले पड़ने की एक बड़ी वजह क्लोरोसिस हो सकती है. इस बीमारी को पकड़ने के लिए मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए. उस जांच के आधार पर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी पूरी करनी चाहिए.

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