खेती-किसानी के कारण दुनियाभर में मशहूर भारत बागवानी और होम गार्डनिंग में भी पीछे नहीं है. शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी घर के गमले में खूब पौधे लगाने लगे हैं. घर में की गई गार्डनिंग करने वाले लोगों को हर मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है. मार्च महीना भी गार्डनिंग के लिहाज से नाजुक महीने में शामिल है. आप जानते हैं कि मार्च के महीने से देश में गर्मी शुरू हो जाती है. गर्मी के दिनों में पौधों को खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है. आइए जान लेते हैं कि इन दिनों गार्डनिंग करने वालों को कौन से जरूरी बदलाव करने चाहिए.
मौसम बदलते ही इंसानों का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, ठीक उसी तरह से आप देखेंगे कि पौधों में भी बदलाव देखे जाते हैं. इन दिनों अधिकांश पौधे या को सूख जाते हैं या फिर उनकी ग्रोथ रुक जाती है. आपको कुछ ऐसे काम करने होंगे जिसके बाद आप गर्मी के दिनों में भी पौधों को हरा-भरा रख सकेंगे.
अगर गमले की मिट्टी बहुत पुरानी हो गई है तो गर्मी आने से पहले उसे नई, साफ और भुरभुरी मिट्टी के साथ बदल दीजिए ताकि उसकी जलधारण क्षमता में बढ़ोतरी हो जाए. गर्मी के दिनों में होने वाली बीमारियों से भी पौधों की सुरक्षा के लिए नई मिट्टी जरूरी है.
सर्दी के दिनों में आमतौर पर लोग गमले को ऐसी जगह पर रख देते हैं जहां दिनभर की सीधी धूप आती हो. गर्मी के दिनों में गमले की जगह बगल दीजिए. इन दिनों पौधों को ऐसी जगह पर रखें जहां सीधी धूप बिल्कुल ना लगे, गर्मी वाली धूप से पौधे सूख जाते हैं. ग्रीन शेड लगाकर धूप को कम करें या गमले को कम लाइट में रखें.
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गर्मी के दिनों में सिंचाई की नियमित जरूरत होती है लेकिन सिंचाई का तरीका और समय बहुत मायने रखता है. गर्मी के दिनों में सुबह और शाम के समय ही पानी देने की सलाह दी जाती है. दोपहर में या फिर तेज धूप में पानी डालने से पौधों के झुलसने की आशंका बनी रहती है.
किसी भी पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए खाद-पानी उसकी पहली जरूरत होती है. आप भी पौधों को खाद देने जा रहे हैं तो खास बात जान लें. गर्मी के दिनों में पौधों को केमिकल खाद देने से बचें इन दिनों कोकोपीट खाद दें. कोकोपीट पौधों की ग्रोथ के लिए मददगार होने के साथ ही मिट्टी की नमी को लंबे समय तक बनाए रखता है.