मक्का एक एनर्जी क्रॉप के रूप में उभर रहा है. इथेनॉल की वजह से अब इसकी खेती किसानों के लिए बड़े फायदे का सौदा बन रही है. इसकी खेती खरीफ की फसल के रूप में की जाती है. यह अनाज वाली फसलों में सबसे बड़े दाने की फसल है. इसके दानों का इस्तेमाल कई तरह के खाद्य उत्पादों में किया जाता है. इसकी खेती ज्यादातर उत्तर भारत में की जाती है. अनाज के रूप में यह लाभकारी फसल है. हालांकि, मूल्यवान होने के बावजूद इस फसल में कई प्रकार के रोग पाए जाते हैं. ये रोग किसी न किसी प्रकार से पोषक तत्वों की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं. इसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इनके लक्षण फसल पर पहले से ही देखने को मिल जाते हैं. ऐसे में किसान अगर समय रहते पोषक तत्वों की कमी के लक्षण को जान लें तो उन्हें खेती में नुकसान नहीं होगा.
पौधों में 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. लेकिन ज्यादातर किसान सिर्फ नाइट्रोजन और फास्फोरस देकर काम चला लेते हैं. जबकि कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सूक्ष्म पोषक तत्व भी बहुत जरूरी होते हैं. इन्हें नजरंदाज करना किसानों पर भारी पड़ता है. इसलिए आप लक्षण से पहचान सकते हैं कि पौधों में किन पोषक तत्वों की कमी है. उसे पूरा करने पर अच्छी उपज होगी. जिससे आपको फायदा होगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार पोटाश की कमी से पौधा एवं उसकी गांठें छोटी रह जाती हैं. नीचे की पत्तियों के किनारे शुरू में पीले और बाद में गहरे भूरे रंग के होकर सूखने लगते हैं. इसे झुलसन कहते हैं.
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फसल में 30-40 कि.ग्रा. पोटेशियम प्रति हैक्टर दें. पोटेशियम की पूरी मात्रा बुआई के समय पंक्तियों में सीडड्रिल या देसी हल के साथ 6-8 सें.मी. गहरा करके दें.
शुरू में पत्तियों पर हल्की धारियां पायी जाती हैं. ये बाद में सफेद या पीली पत्तियों में बदल जाती हैं. ये धारियां पत्तियों के बीच से लेकर आधार तक प्रायः पूरी चौड़ाई में होती हैं. इसे श्वेत कलिका रोग कहते हैं.
जिंक की कमी होने पर 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हैक्टर को बुआई के समय दें.
इसकी कमी से पौधों की नीचे वाली पत्तियों में सफेद या पीली धारियां बन जाती हैं. ये धारियां शिराओं के बीच में फैल जाती हैं, किन्तु शिरायें हरी बनी रहती हैं. बाद में पुरानी पत्तियां लाल हो जाती हैं. छोटी पौध में ऊपर की सभी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं.
10 कि.ग्रा. मैग्नीशियम सल्फेट 100 गैलन पानी में पत्तियों पर छिडकाव करने से भी पौधों को पर्याप्त मैग्नीशियम मिल जाता है.
मक्का में कैल्शियम की कमी प्रायः कम ही दिखायी देती है. ऐसे पौधों की पत्तियां - ठीक से खुल नहीं पातीं और सीढ़ी के समान - एक-दूसरे से लिपटी रहती हैं. रोगग्रस्त पौधों - की पत्तियां पीले हरे रंग की हो जाती हैं.
गंधक की कमी से पौधों में बौनेपन के लक्षण पाये जाते हैं. ऐसे पौधे देर से परिपक्व होते हैं. पीलापन नाइट्रोजन की अपेक्षा नई पत्तियों में अधिक होता है.
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