आज के समय में खेती करना आसान नहीं है. बढ़ती लागत, बदलता मौसम और कम मुनाफा छोटे किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. लेकिन अगर हम टिकाऊ (सस्टेनेबल) खेती अपनाएं, तो ना केवल लागत कम होती है, बल्कि जमीन की सेहत भी बनी रहती है. आइए जानते हैं कुछ कम लागत में टिकाऊ खेती के बेहतरीन उपाय, जो छोटे किसानों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं.
रासायनिक खाद महंगी होती है और जमीन की उर्वरता भी धीरे-धीरे खत्म कर देती है. इसकी जगह आप गोबर की खाद, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें. ये न केवल सस्ती होती हैं बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ाती हैं.
मल्चिंग का मतलब है फसलों के आसपास सूखे पत्ते, घास या प्लास्टिक की परत बिछाना. इससे नमी बरकरार रहती है, घास नहीं उगती और पानी की बचत होती है. यह तरीका खासकर गर्मी में बहुत उपयोगी है.
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हर साल एक ही फसल उगाने से मिट्टी कमजोर हो जाती है. इससे बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं यानी हर सीजन में अलग-अलग फसलें लगाएं. इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीटों का प्रकोप भी कम होता है.
हाइब्रिड बीज महंगे होते हैं और हर साल खरीदने पड़ते हैं. जबकि देसी बीज सस्ते, मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं. इन्हें आप खुद भी संरक्षित कर सकते हैं.
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एक ही खेत में दो या तीन तरह की फसलें एक साथ उगाना इंटरक्रॉपिंग कहलाती है. इससे उत्पादन भी बढ़ता है और एक फसल खराब हो जाए तो दूसरी से नुकसान की भरपाई हो जाती है.
अगर आप सूखे क्षेत्र में खेती करते हैं तो बारिश के पानी को स्टोर करना जरूरी है. इसके लिए छोटे तालाब, कुएं या गड्ढे बनाकर वर्षा जल का संचयन करें. इससे गर्मियों में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.
रासायनिक कीटनाशक महंगे और हानिकारक होते हैं. इसकी जगह नीम, लहसुन, गोमूत्र से बने घरेलू कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. ये सस्ते होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते.
अगर छोटे किसान मिलकर खेती करें, तो बीज, खाद, उपकरण और मंडी में फसल बेचने का खर्च कम हो जाता है. साथ ही सरकार की योजनाओं का लाभ भी ज्यादा आसानी से मिलता है.