नए साल के आगमन के साथ ही कड़ाके की सर्दी पड़नी शुरू हो गई है. शीतलहर और कोहरे से इंसान के साथ- साथ मवेशी भी परेशान हो गए हैं. लेकिन हाड़ कपाने वाली इस ठंड से सबसे ज्यादा किसान चिंतित हैं. उन्हें भय सता रहा है कि कहीं शीतलहर से रबी और बागवानी फसलों को नुकसान न पहुंच जाए. हालांकि, मौसम एक्सपर्ट का कहना है कि शीतलहर से किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. इससे रबी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचेगा, बल्कि फायदा ही होगा. वहीं, कुछ बागवानी फसलों के ऊपर सर्दी का असर पड़ सकता है, जिसमें आलू, बैंगन, पालक और मटर शामिल हैं. लेकिन किसान गंधक का छिड़काव कर फसलों को नुकसान होने से बचा सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो सर्दी के मौसम में बागवानी फसलों की अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है. क्योंकि शीतलहर और पाले से बागवानी फसलों के ऊपर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इससे फसल का उत्पादन कम हो सकता है. हालांकि. सरसों, चना, मटर, अलसी, गन्ना, गेहूं और अरहर के ऊपर शीतलहर का ज्यादा असर दिखाई नहीं देता है. बल्कि, सरसों और गेहूं की फसल के लिए शीतलहर फायदेमंद ही होता है. अगर फिर भी आपके खेत में फसलों के ऊपर शीतलहर का प्रकोप दिखाई दे रहा है, तो हल्की सिंचाई कर दें. इससे खेत में नमी बनी रहेगी, जिससे फसल के सर्दी का असर पड़ने की संभावना कम हो जाएगी.
इसके अलावा किसान शीतलहर से आलू, बैंगन और गेहूं की फसल को बचाने के लिए खेत में सल्फर का छिड़काव भी कर सकते हैं. क्योंकि सल्फर पौधों में गर्मी पैदा करता है. इससे सर्दी का असर नहीं पड़ता है. अगर किसान चाहें, तो 6-8 किलोग्राम सल्फर डस्ट का प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़काव कर सकते हैं. यदि आप घुलनशील सल्फर का उपयोग करना चाहते हैं, तो दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर इसका स्प्रे करें. इससे फसल पर शीतलहर और पाले का असर नहीं पड़ेगा. खास बात यह है कि सल्फर ठंड से बचाने के साथ- साथ फसल को जल्दी पकने में भी मदद करता है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि सल्फर का स्प्रे करने से फसलों में रासायनिक क्रियाएं बढ़ जाती हैं. इससे आलू, सरसों गेहूं और मटर जैसी फसलों को जल्दी पकने में मदद मिलती है. अगर किसान चाहें, तो सर्दी से फसल को बचाने के लिए थोयोयूरिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए किसान एक ग्राम थोयोयूरिया आधा लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें. इसके बाद हर 15 दिन पर खेत में छिड़काव करते रहें. इससे फसलों को पाला से बचाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा किसान खेत की मेढ़ों पर बबुल, जामुन, शीशम, अमरूद और आम का पेड़ भी लगा सकते हैं. ये पेड़ फसलों को ठंडी हवाओं से बचाएंगे. ये उपाय फसलों को लंबे समय तक शीतलहर से बचाएंगे.
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