कपास पर नहीं होगा गुलाबी सुंडी का प्रकोप, बस इन टिप्स पर अभी कर लें गौर

कपास पर नहीं होगा गुलाबी सुंडी का प्रकोप, बस इन टिप्स पर अभी कर लें गौर

कपास की फसल में गुलाबी सुंडी लगने का खतरा बढ़ने लगा है. किसानों की ओर से महंगे कीटनाशकों का स्प्रे करने के बावजूद इस कीट पर काबू नहीं पाया जा सका है. इसके हमले से पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है. ऐसे में कुछ तरीकों और उपाय को अपनाकर अपनी कपास की फसल को चौपट होने से बचा सकते हैं.

कपास पर गुलाबी सुंडी का प्रकोपकपास पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Aug 14, 2025,
  • Updated Aug 14, 2025, 12:39 PM IST

इन द‍िनों कपास की खेती के ल‍िए अगर कोई सबसे बड़ा खतरा है तो उसका नाम गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm). इस कीट ने खेतों में तबाही मचा रखी है. किसानों की ओर से महंगे कीटनाशकों का स्प्रे करने के बावजूद इस कीट पर काबू नहीं पाया जा सका है. क्यों‍क‍ि यह कीट कॉटन बॉल के अंदर घुस जाता है. ऐसे में गुलाबी सुंडी कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बुरा सपना बन गई है. इसके हमले से पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है. ऐसे में कुछ तरीकों और उपाय को अपनाकर अपनी कपास की फसल को चौपट होने से बचा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.

क्या है गुलाबी सुंडी?

  • गुलाबी सुंडी कपास की फसल में लगने वाला एक खास कीट है
  • ये कीट रात के समय अधिक सक्रिय रहना है.
  • प्रौढ़ अवस्था में गुलाबी सुंडी गहरे भूरे रंग में होते हैं. बाद में इनका रंग गुलाबी हो जाता है.
  • नमी के वातावरण में यह बहुत एक्टिव हो जाता है.
  • खास बात यह है क‍ि यह कीट फसल की अंत‍िम अवस्था तक बना रहता है.
  • शुरुआती अवस्था में ही ये सुंडियां छोटे बॉल में घुस कर बीजों को खाती हैं.
  • इसके बाद खुद बनाए गए बॉल के सुराख को अपने मल से ही बंद कर देती हैं.
  • बंद होने की वजह से ही इन पर किसी कीटनाशक का असर नहीं होता.

गुलाबी सुंडी के लक्षण?

  • बॉल पर छेद: गुलाबी सुंडी लगने पर संक्रमित बॉल पर छोटे-छोटे छेद नजर आते हैं.
  • बॉल का समय से पहले गिरना: इस कीट से संक्रमित बॉल समय से पहले सूखकर गिर जाते हैं.
  • बीज और रेशों का खराब होना: इस कीट के लगने पर अंदर के बीज काले पड़ जाते हैं और रेशे खराब हो जाते हैं.
  • लार्वा की उपस्थिति: गुलाबी सुंडी लगने पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे लार्वा बॉल के अंदर देखे जा सकते हैं.

कीटनाशकों का छिड़काव

विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही फसल में गुलाबी सुंडी का पता चले तुरंत कीटनाशकों का छिड़काव करें. बार-बार छिड़काव करने पर किसान कपास के फसलों को बचा सकते हैं. किसान इसके अलावा प्रोपेक्स सुपर+ अमृत गोल्ड नीम का मिश्रण करके कपास के पौधों पर छिड़काव करें, खासकर जब कपास का पौधा फूल और पत्ती अवस्था में हो. वहीं, जैविक कीटनाशक के तौर पर किसान नीम का तेल और डिटर्जेंट पाउडर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं.

ये ट्रैप मशीन है कारगर

ट्रैप मशीन का इस्तेमाल तो किसानों ने बहुत किया होगा. इसमें भी एक खास मशीन है आई ट्रैपर जो कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां गुलाबी सुंडी हर साल सैकड़ों एकड़ फसल नष्ट करती है. वहां iTrapper लाइट को अपनाने से उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी की आ सकती है. यह लाइट ट्रैप फसल को केवल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से ही नहीं बचाएगा, बल्कि अन्य कीटों का भी समाधान करती है. बाजार में कई तरह के लाइट ट्रैप पहले से उपलब्ध हैं, लेकिन आई ट्रैपर उनसे कई मामलों में अलग है. यह फायदेमंद या फसलों के लिए जरूरी कीटों को नहीं मारता, केवल उन कीटों को मारता है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं–जैसे गुलाबी सुंडी.

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