खरीफ सीजन खेती के लिहाज से काफी खास माना जाता है. इस सीजन में सबसे अधिक फसलें उगाई जाती हैं. हालांकि ये सीजन किसानों के लिए काफी चुनौती भरा भी होता है. कभी खरीफ में मनमुताबिक बरसात नहीं होती, तो कभी इतना ज्यादा पानी गिरता है कि बाढ़ से फसल का नुकसान होता है. बारिश सामान्य हुई तो पानी होने के चलते कीट और रोग का भी खतरा बना रहता है. अगर आप किसान हैं तो इन चुनौतियों का सामना करने के उपाय भी जरूर पता होने चाहिए. इस खबर में आपको खरीफ फसलों की सुरक्षा करने के जैविक तरीके बताने जा रहे हैं.
खरीफ सीजन में सबसे अधिक धान और दलहन-तिलहन फसलों की खेती की जाती है. इन दिनों लगातार बरसात होने के चलते कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. इन दिनों जड़ सड़न रोग, पत्ती झुलसा, पत्ती छेदक, दलहन फसलों पर पीला मोजेक रोग और अंगमारी रोग जैसे कई रोग और कीटों का खतरा बना रहता है. जिसके चलते पौधों की ग्रोथ रुक जाती है. कुछ रोग ऐसे भी होते हैं जिसके कारण पूरी फसल नष्ट हो जाती है.
फसलों को कीट और रोग से बचाने के लिए कई तरह की दवाइयां बाजार में मौजूद हैं, लेकिन ज्यादातर लोग ऑर्गेनिक तरीके की ओर बढ़ रहे हैं. इस खबर में आपको कीट और रोग से बचाव के देसी तरीके बताने जा रहे हैं.
फसलों की सुरक्षा के लिए नीम का यूज करना बहुत फायदेमंद माना जाता है. नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर फायदेमंद कीटनाशक बनाया जाता है. इसके अलावा नीम की खली का इस्तेमाल भी कीटनाशक के तौर पर कर सकते हैं.
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खेत में वर्मी कंपोस्ट का छिड़काव करने से भी फसलों की सुरक्षा होती है. वर्मी कंपोस्ट को केंचुआ खाद कहा जाता है जिसके प्रयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है साथ ही कई तरह की बीमारियों और कीटों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है
खेतों में फसल की बुवाई से पहले पुराने फसलों का अवशेष अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए. पुरानी फसलों के अवशेष को खाने के लिए खेत में कई कीड़े आ जाते हैं जिससे रोग पनपते हैं और मिट्टी में फंगस का खतरा भी बढ़ जाता है.
फसल चक्र का मतलब होता है कि एक खेत में हर सीजन में अलग-अलग फसलों की बुवाई करें. इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है. एक ही फसल को बार-बार उगाने से खेत की मिट्टी खराब होती है रोग का खतरा भी बढ़ता है.