बरसात खत्म होते ही किसान भाई सबसे पहले अपनी धान की फसल को संभालने में जुट जाते हैं. बारिश के बाद खेतों में पानी जमा हो जाना, खरपतवार बढ़ना और कीट-रोग फैलना आम बात है, जिससे फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है. लेकिन अगर सही समय पर कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाए जाएं तो फसल न केवल सुरक्षित रहती है, बल्कि उपज भी बढ़ जाती है. रामपुर जिला कृषि अधिकारी कुलदीप सिंह राणा ने किसान भाइयों के लिए 5 आसान और कारगर तरीके बताए हैं, जिन्हें हर किसान अपनाए.
बारिश के बाद सबसे जरूरी है कि खेत में ज्यादा पानी जमा न हो. लंबे समय तक पानी भरने से पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे फसल पीली पड़ने लगती है. इसके लिए खेत की नालियां साफ रखें ताकि अतिरिक्त पानी जल्दी निकल जाए. अगर पानी ज्यादा देर तक रुका रहेगा तो कीट और रोग भी जल्दी फैल सकते हैं.
बरसात के बाद खेत में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं, जो फसल के पोषण को छीन लेते हैं और पौधों की बढ़वार रोक देते हैं. इसलिए हर 20-25 दिन में खेत से खरपतवार हटाना जरूरी है. इससे धान के पौधे स्वस्थ और मजबूत रहेंगे और उन्हें भरपूर पोषण मिलेगा.
धान की फसल को मजबूत और हरी-भरी बनाए रखने के लिए बारिश के बाद हल्का खाद देना बहुत जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, एक बीघा खेत में 5-7 किलो जिंक सल्फेट और 15-20 किलो यूरिया छिड़काव करें. इससे पौधों में मजबूती आती है और वे कीटों तथा रोगों से बेहतर लड़ पाते हैं.
बारिश के बाद तना छेदक, पत्ता लपेटक जैसे कीट और झुलसा रोग का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में समय पर दवा का छिड़काव करना आवश्यक है. किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह लेकर सही दवा चुनें और हल्के पानी में घोलकर पूरे खेत में छिड़काव करें ताकि फसल सुरक्षित रहे.
धान की फसल को हमेशा नमी की जरूरत होती है, लेकिन खेत में पानी की मात्रा नियंत्रित होनी चाहिए. बारिश के बाद खेत में 2-3 सेंटीमीटर पानी बनाए रखना सबसे सही होता है. इससे पौधों की जड़ों को पर्याप्त नमी मिलती है और अनाज भरने की प्रक्रिया बेहतर होती है.
बारिश के बाद ये पांचों आसान और कम खर्चीले उपाय अपनाकर किसान अपनी धान की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और उपज में कई गुना बढ़ोतरी कर सकते हैं. मौसम के अनुसार समय-समय पर इन तरीकों को अपनाएं ताकि आपकी मेहनत सफल हो और बाजार में अच्छी कीमत मिले. किसान भाइयों के लिए यह खेती को बेहतर बनाने का सबसे सरल रास्ता है.