कोहरा-पाला गिरने से आलू में फफूंद रोग का प्रकोप बढ़ा, बचाव के लिए ये उपाय अपनाएं किसान 

कोहरा-पाला गिरने से आलू में फफूंद रोग का प्रकोप बढ़ा, बचाव के लिए ये उपाय अपनाएं किसान 

उतर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो ने आलू की खेती करने वाले किसानों को पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट) रोग से फसल को बचाने के लिए सतर्क किया है. कहा गया है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में भारी बारिश की वजह से कोहरे और पाले की स्थिति से बनी अतिरिक्त नमी ने इस रोग का प्रकोप बढ़ा दिया है.

कई इलाकों में आलू की फसल में फफूंद लगी हुई देखी जा रही है. कई इलाकों में आलू की फसल में फफूंद लगी हुई देखी जा रही है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 19, 2025,
  • Updated Jan 19, 2025, 10:30 AM IST

आलू किसान इन दिनों पाल गिरने की वजह से फफूंद रोग से परेशान हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के किसानों को फसल में पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट) का प्रकोप बढ़ रहा है. इससे फसल में फफूंद रोग लगता है, जो आलू के विकास को रोक देता है. यह रोग इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि यह पूरे पौधे के अलग-अलग हिस्सों को अपनी चपेट में ले लेता है. इससे समय पर बचाव न किया जाए तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. 

उतर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो ने आलू की खेती करने वाले किसानों को पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट) रोग से फसल को बचाने के लिए सतर्क किया है. कहा गया है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में भारी बारिश की वजह से कोहरे और पाले की स्थिति बनी थी. यह स्थिति आलू के लिए काफी खतरनाक रही है. इस वजह से कई इलाकों में आलू की फसल में फफूंद लगी हुई देखी जा रही है. 

झुलसा रोग होने की वजह 

आलू की फसल में झुलसा रोग होने की कई वजह हों सकती हैं. लागतार तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते फसल झुलसा रोग की चपेट में आ सकती है. तापमान कम और आर्द्रता अधिक होने पर भी यह बीमारी तेजी से फैलती है. खेत के आसपास की गंदगी और नम वातावरण बने रहने की वजह से फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस तेजी से पनपता है. इसके अलावा बिना उचार किए बीज और संक्रमित मिट्टी की वजह से झुलसा रोग का प्रकोप फसल पर बढ़ता है.  

पूरे पौधे को चपेट में ले लेता है रोग 

कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट) आलू में फफूंद से लगने वाली एक भयानक बीमारी है. इस बीमारी का प्रकोप आलू के पौधे में पत्ती, तने और कंद समेत सभी भागों पर होता है. इससे फसल का विकास रुक जाता है. जबकि, इसकी वजह से पूरे पौधे में लगने वाले कंद सिकुड़ जाते हैं. इस समस्या से उत्पादन तो घटता ही क्वालिटी भी गिर जाती है. 

बचाव के लिए क्या करें किसान 

किसान इस रोग से फसल को बचाने के लिए तुरंत सिंचाई बंद कर दें या जरूरत होने पर बहुत कम सिंचाई करें.पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट) रोग के लक्षण दिखने पर जिनेब 75% WP, 1.5 से 2 किलो को 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. कृषि विभाग की ओर से कहा गया है किसान यह छिड़काव 8 से 10 दिन के अंतराल पर फसल में कुछ वक्त तक करते रहें. 

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