Soil Health: मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी से फसलें हो रही हैं कमजोर, जानिए इसे बढ़ाने के कुछ आसान उपाय

Soil Health: मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी से फसलें हो रही हैं कमजोर, जानिए इसे बढ़ाने के कुछ आसान उपाय

Soil Health: नाइट्रोजन की कमी की सबसे पहली पहचान होती है पत्तों का पीला पड़ना, विशेष रूप से पुराने पत्तों में. पौधों की बढ़वार रुक जाती है और फसल कमजोर नजर आती है. अगर समय रहते इसका समाधान न किया जाए तो उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है. 

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jun 22, 2025,
  • Updated Jun 22, 2025, 7:27 AM IST

पिछले दिनों पंजाब से एक रिपोर्ट आई जिसके मुताबिक राज्‍य के कई जिलों की मिट्टी में नाइट्रोजन की भारी कमी देखी गई थी. नाइट्रोजन की कमी आपकी फसलों को खासा प्रभावित कर सकती है. अगर आपकी फसलें धीमी गति से बढ़ रही हैं, पत्ते पीले पड़ रहे हैं या पौधों में ताकत नहीं दिख रही है, तो इसका कारण मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो सकता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, नाइट्रोजन फसल की वृद्धि के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है. इसकी कमी से उपज पर सीधा असर पड़ता है. अच्छी खबर यह है कि किसान कुछ आसान उपायों से इस समस्या से निपट सकते हैं. 

कैसे पहचानें नाइट्रोजन की कमी?

नाइट्रोजन की कमी की सबसे पहली पहचान होती है पत्तों का पीला पड़ना, विशेष रूप से पुराने पत्तों में. पौधों की बढ़वार रुक जाती है और फसल कमजोर नजर आती है. अगर समय रहते इसका समाधान न किया जाए तो उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है. 

कैसे दूर करें नाइइट्रोजन की कमी  

हरी खाद का प्रयोग 
हरी खाद जैसे ढैंचा, सनाई या मूंग जैसी फसलें खेत में बोना चाहिए. इन फसलों को तोड़ने से मिट्टी में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है. यह एक पारंपरिक और सस्ता तरीका है. 

जैविक खाद का प्रयोग
गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या नीलगिरी की पत्तियों से बनी खाद मिट्टी की उर्वरता को सुधारती है और धीरे-धीरे नाइट्रोजन उपलब्ध कराती है. 

रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग
यूरिया, अमोनियम सल्फेट जैसे उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें. लेकिन अधिक मात्रा में देने से नुकसान हो सकता है, इसलिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. 

बैक्टीरिया का प्रयोग
राइजोबियम, अजोस्पिरिलम और अजोटोबैक्टर जैसे जैव उर्वरक मिट्टी में नाइट्रोजन को बांधने और उपलब्ध कराने में मदद करते हैं. 

फसल चक्र अपनाएं
एक ही प्रकार की फसल बार-बार लगाने से मिट्टी की नाइट्रोजन खत्म हो जाती है. दालों जैसी फसलों को बीच-बीच में लगाना नाइट्रोजन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. 

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