किसान गर्मी के दिनों में सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. क्योंकि गर्मी में खाली पड़े खेतों में किसानों के लिए सब्जी की खेती करना फायदे का सौदा रहता है. वहीं, सब्जी की खेती से किसान को अधिक मुनाफा भी होता है, लेकिन सब्जी में रोग और कीट का भी अधिक प्रकोप रहता है जिससे फसल को काफी नुकसान पहुंचता है. दरअसल, बिहार में अचानक आए मौसम में बदलाव से किसानों को सब्जी की फसल पर कीट और रोग लगने का खतरा मंडराने लगा है, जिससे किसान काफी परेशान हैं. ऐसी ही परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को लत्तेदार सब्जियों को कीट से बचाने की सलाह दी है. ऐसे में आज हम आपको सब्जी फसलों में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे बचाव करना बेहद जरूरी है, नहीं तो पूरी फसल खराब हो सकती है.
लत्तेदार सब्जियों में लगने वाला ये कीट काफी खतरनाक होता है. इसकी पहचान कि बात करें तो इस कीट का पीठ नारंगी और पेट काला होता है. इसके बच्चे पौधे की जड़ों को खाते हैं और वयस्क कीट पत्तियों, फूलों और नए पौधों को क्षति पहुंचाते हैं. वहीं, इस कीट से बचाव के उपाय कि बात करें तो सब्जियों को इस कीट से बचाने के लिए पत्तियों के ऊपर सुबह में राख का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा वयस्क कीट को इकट्ठा करके जला दें. साथ ही सब्जियों में फेनमेलरेट 0.4 प्रतिशत का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.
अचानक गर्मी बढ़ने से लत्तेदार सब्जियों में फल मक्खी कीट का खतरा बढ़ने लगा है. ये फल मक्खी भूरे रंग की होती है जिसका कीट फलों के भीतरी हिस्से को खाता है. ऐसे में इस कीट से सब्जियों को बचाने के लिए खेतों में लाईफ टाईम ट्रैप प्रति हेक्टेयर 8-10 की संख्या में लगा दें. इसके अलावा मिट्टी वाले बर्तन में गुड़, ताड़ी और कीटनाशक की दो बूंद डालकर जगह-जगह पर लटका दें. ऐसे में सब्जियों पर से इस कीट का सफाया हो जाएगा.
यह लत्तेदार सब्जी वाली फसलों को सुखाने वाला एक फफूंद जनित रोग है, जिसमें पत्तियों पर बहुत छोटे सफेद धब्बे बनते हैं जो बाद में सफेद चूर्ण का रूप ले लेते हैं. ऐसे में इस रोग से बचने के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखें. इसके अलावा सल्फर 80 घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें.
ये रोग सब्जियों के लिए काफी खतरनाक है. इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बे नजर आते हैं, जिसमें पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद का जाल दिखाई देता है, जो पत्तियों को सुखाकर बढ़वार को रोक देता है. इससे फसलों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में किसानों को इस रोग से बचाव के लिए खेत को खरपतवार और फसल अवशेष से मुक्त रखना चाहिए. इसके अलावा मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
अगर आप बिहार के किसान हैं और सब्जी की खेती करते हैं तो आप अपनी फसलों का इन कीट और रोगों से ध्यान रखें. साथ ही बताए गए उपायों को अपनाकर नुकसान होने से बचें. अगर इन उपायों को अपनाने में कोई समस्या आ रही हो तो अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर या अपने जिला के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से संपर्क कर सकते हैं.