वैसे तो खेती-किसानी के लिए हर महीना खास होता है, लेकिन जून के महीने में किसानों का काम बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इस मौसम में अगर आप कोई भी पेड़ या पौधा लगाते हैं तो वो आसानी से बढ़ता है. वहीं अगर खरीफ फसलों की बात करें तो ये महीना बुवाई के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. इस समय तक मानसून प्रवेश कर जाता है. ऐसे में फसलों की बुवाई आसानी से हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जून के महीने में कौन-कौन से कृषि कार्य पूरे किए जाते हैं? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं उन सभी कृषि कार्यों के बारे में जो जून के महीने में पूरे किए जाते हैं.
जून का महीना खरीफ फसलों की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है. जैसे ही बारिश की शुरुआत होती है, खेतों में नमी बढ़ जाती है जो बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक होती है. इस समय धान, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों की बुवाई शुरू कर देनी चाहिए. खरीफ फसलों का समय पर बोना बहुत जरूरी है क्योंकि देरी से बुवाई करने पर उपज में गिरावट आ सकती है.
इस महीने खरीफ धान की रोपाई भी शुरू कर दी जाती है. लेकिन रोपनी से पहले बीज का उचित उपचार करना बहुत जरूरी है ताकि रोग और कीटों से फसल की सुरक्षा हो सके.
धान के बीजों को ओरियोफंजीन के 100 पी.पी.एम. घोल में भिगोकर या थिरम 75% घुलनशील चूर्ण या कैप्टॉन 50% घुलनशील चूर्ण से 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करना चाहिए. इससे बीज जनित रोगों से बचाव होता है.
इसके अलावा, बिचड़े उखाड़ने के लगभग एक सप्ताह पहले पौधशाला में कार्बोफ्यूरॉन 3% दानेदार 25 किलो प्रति हेक्टेयर या कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4G, 16 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से फैलाना चाहिए. यह उपाय पौधों की जड़ों में लगने वाले कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है और पौध मजबूत होती है.
जून का महीना सब्जी फसलों के लिए भी लाभकारी माना जाता है. इस समय कुछ ऐसी सब्जियाँ बोई जाती हैं, जो गर्मी और वर्षा दोनों मौसम में अच्छी तरह उगती हैं. कद्दू, करैला, खीरा, कोहड़ा, झिंगनी, नेनुआ, भिंडी, बोड़ा और सेम जैसी सब्जियों की बुवाई इस समय लाभकारी रहती है. समय पर बुवाई और सही देखभाल से इन फसलों से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.
जून में तिलहन और रेशेदार फसलों की बुवाई का भी सही समय होता है. इस मौसम में मूँगफली, तिल, अरंडी और पटुआ (जूट) जैसी फसलें उगाई जाती हैं. इन फसलों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, और मानसून की नमी इनके लिए पर्याप्त होती है. इनकी खेती से किसान को बाजार में अच्छा मूल्य मिल सकता है.
जो किसान बरसाती प्याज उगाना चाहते हैं, उन्हें जून में ही इसकी बीजस्थली (नर्सरी) तैयार कर लेनी चाहिए. इस समय उन्नत किस्म के प्याज के बीज गिरा देने चाहिए. इस महीने की प्राकृतिक नमी प्याज के बीज के अंकुरण और पौध की बढ़वार के लिए अनुकूल होती है. अच्छी तरह तैयार बीजस्थली आगे चलकर उत्पादन को प्रभावित करती है.
बुवाई से पहले खेतों की अच्छी तरह जुताई और समतलीकरण करना चाहिए. यदि संभव हो, तो मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि खेत को किस तरह की खाद और उर्वरकों की आवश्यकता है. इससे फसल की गुणवत्ता और उपज में बढ़ोत्तरी होती है. समय पर खाद, गोबर और जैविक उर्वरक डालना भी फायदेमंद होता है.
जून में बारिश की शुरुआत होने लगती है, जिससे जलभराव और नमी की अधिकता हो सकती है. इसलिए खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करना जरूरी है. साथ ही खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई समय-समय पर करते रहना चाहिए, ताकि फसल को उचित पोषण मिल सके और कोई प्रतिस्पर्धा न हो.
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