खेत में दो तरह के कीट होते हैं. पहले वो जो खेती को नुकसान पहुंचाते हैं. दूसरे वो जो किसानों के लाभ पहुंचाते हैं. इसलिए उन कीटों को किसानों का मित्र माना जाता है. अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए कीटों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण करना जरूरी होता है. कई बार ये कीट इतने शक्तिशाली होते हैं कि पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं. इनके नियंत्रण के लिए किसान जैविक और रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. कई बार जैविक कीटनाशकों से इस्तेमाल से फायदा नहीं होता है तो किसानों को रासायनिक कीटनाशक का भी इस्तेमाल करना पड़ता है. हालांकि रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के कई दुष्प्रभाव भी हैं. इसके कारण किसानों को इसे अपनाने से पहले कई बार सोचना पड़ता है.
हमें यह जानना चाहिए कि कीट प्रबंधन का सबसे बेहतरीन तरीका क्या है और इसके इस्तेमाल में क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए. इसके जरिए ही हम कीटों पर बेहतर नियंत्रण कर सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं. कीटों को नियंत्रित करने का प्राकृतिक तरीका भी होता है. इस विधि में खेत में मित्र कीट की संख्या बढ़ा दी जाती है. इससे शत्रु कीट की संख्या कम हो जाती है और फसल बच जाती है. पर जो किसान कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि कीटनाशक के इस्तेमाल का उचित तरीका क्या होता है.
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यह एक ऐसी विधि होती है जिसमें किसानों को लाभ पहुंचाने वाले कीटों की संख्या बढ़ाई जाती है और उन्हें संरक्षित किया जाता है, ताकि वे क्षति पहुंचाने वाले कीटों को खत्म कर सकें. इसका एक फायदा यह होता है कि कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करना पड़ता है. इसके कई तरीके हैं जिन्हें अपनाकर मित्र कीटों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है. इस विधि में मित्र कीटों के लिए खेत में भोजन एक जगह छोड़ दिया जाता जहां पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जाता है. इसके साथ ही फसल विविधिकरण की प्रक्रिया अपनाने से भी कीट नियंत्रण में मदद मिलती है.