खरीफ सीजन में बोई गई धान की फसल में बाली बन गई है. लेकिन, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार समेत कई अन्य राज्यों में धान फसल में सैनिक कीट (Fall armyworm) का खतरा बढ़ गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि, यह कीट शाम के समय पौधा पर हमला करता है और चढ़कर बाली को कुतर डालता है. इससे बाली कटक नीचे गिर जाती है. इससे परेशान किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने उपाय बताए हैं.
देशभर में धान की बंपर पैदावार की गई है. उत्तर भारत समेत देश के अन्य हिस्सों में धान की अलग-अलग किस्मों को किसानों ने बोया है. अभी तक धान किसान खैरा रोग और फुदका रोग से फसल बचाने की कोशिशों में जुटे हुए थे और अब सैनिक रोग कीट ने फसल पर हमला कर दिया है. कृषि एक्सपर्ट ने धान में लगने वाले सैनिक कीट को फसल के बहुत घातक बताया है. अगर समय पर इस कीट की रोकथाम नहीं की जाती है तो यह फसल को चौपट कर देता और उत्पादन तेजी से गिर जाता है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से किसानों को धान में लगने वाले सैनिक कीट या फॉल आर्मीवर्म (Fall armyworm) के प्रभाव और उससे बचने के उपाय बताए हैं. कृषि विभाग के अनुसार सैनिक कीट की सुंडियां भूरे रंग की होती हैं, जो दिन के समय किल्लों के बीच में या जमीन की दरारों में छिपी रहती हैं. यह सुंडियां शाम को निकलती हैं और पौधों पर चढ़ जाती हैं. यह बालियों को छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर गिरा देती हैं.
सैनिक कीट की सुंडियों के हमले से धान की फसल को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि जब बाली तैयार होने की अवस्था पर होती है. उस समय 4-5 सुंडी प्रति वर्गमीटर में फैली हो तो मैलाथियान 5% को 20 से 25 किलो ग्राम धूल में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. ऐसा करने से सैनिक कीट की सुंडियों से राहत मिल जाएगी.
इसके अलावा किसान खेत में फेरोमोन ट्रैप और ब्लैक लाइट ट्रैप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इससे सैनिक कीट सुंडियों का प्रकोप कम होता है.
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार धान में भूरा फुदका कीट (brown planthopper) से फसल का बचाव करना जरूरी है. यह कीट पत्तियों और नई फूटने वाले अंकुरों का रस चूसकर पौधे को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके प्रकोप से गोलाई में पौधे काले होकर सूखने लगते हैं. इस कीट को हॉपर बर्न भी कहा जाता है. बचाव के लिए जब भूरा फुदका की संख्या 15 से 20 कीट दिखे तो फसल के बचाव के लिए किसान कार्बोफ्यूरान 3 CG 25 किलो प्रति हेक्टेयर या फिर क्लोरपाइरीफास 20% EC 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.