देश के कई राज्यों में शीतलहर का दौर जारी है. साथ ही तापमान में गिरावट और बढ़ती हुई ठंड को देखते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के द्वारा मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए विशेष सलाह दी गई है. कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक, अगेती मक्का फसल जो अभी फूल आने की अवस्था में है, उसमें गिरते हुए तापमान के कारण नुकसान होने का खतरा है. कम तापमान के कारण मक्का की फसल पर कई प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, जिसमें पत्ते का पीला या बैंगनी होना, असामान्य वृद्धि होना शामिल है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक आने वाले दिनों में 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान रहने के कारण फसल पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे दाना बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं किसानों के लिए क्या सलाह है.
इसके अलावा शीतकालीन मक्का के खेत को शुरू के 45 दिनों तक खेतों से खरपतवार को साफ करते रहें. इसके लिए 2–3 निराई–गुड़ाई पर्याप्त रहती है. खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए एट्राजिन की 1 से 1.5 किलो प्रति हेक्टेयर की मात्रा में छिड़काव करके भी नियंत्रित किया जा सकता है.
मक्का मे वृंतभेदक एक मुख्य कीट है. यह मक्का को शुरू की अवस्था में प्रभावित करता है. यदि पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद दिखाई दें, तो बिना देरी किए 4 प्रतिशत कार्बोफ्यूरान के दानों को प्रभावित पौधों मे डालना चाहिए. कभी-कभी मक्का की फसल को कुछ कीट जैसे–पाइरिला, आर्मीवर्म, कटवर्म आदि नुकसान पहुंचाते हैं. इनकी रोकथाम भी मोनोक्रोटोफांस के छिड़काव से की जा सकती है.
रबी मक्का की बुआई के 20–25 दिनों बाद पहली निराई–गुड़ाई करने के बाद ही सिंचाई करनी चाहिए. फिर खेतों में नमी बनाए रखने के लिए समय–समय पर सिंचाई करते रहनी चाहिए, रबी मक्का मे 4–6 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है.