जून का पहला हफ्ता बीतने के बाद से ही देश के कई राज्यों में मॉनसून अपनी दस्तक दे देता है. मॉनसून आते ही देश में खरीफ फसलों की बुवाई भी शुरू हो जाती है. खेती-बाड़ी के लिहाज से खरीफ सीजन बहुत खास होता है, इन दिनों ढेरों फसलें उगाई जाती हैं, लेकिन खरीफ की सबसे खास फसल धान को माना जाता है. किसान ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि धान की रोपाई से पहले उसके पौध तैयार करने के लिए धान की नर्सरी लगाई जाती है. धान की नर्सरी में ही पौध (बेहन) तैयार होती है जिसे कतारबद्ध तरीके से खेतों में रोपा जाता है. इस खबर में धान की नर्सरी से जुड़ी तमाम जरूरी बातें बता देते हैं जिससे नए किसानों को भी काफी मदद मिलने वाली है.
ये बात आप में से ज्यादातर लोग जानते होंगे कि धान की रोपाई जून के आखिरी सप्ताह से लेकर अगस्त के आखिरी सप्ताह तक की जा सकती है, लेकिन धान की नर्सरी तैयार करने का सही समय क्या है इसके बारे में कम लोग ही जानते हैं. मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी लें और अच्छी बारिश से कम से कम 15 दिन पहले धान की नर्सरी बना लें. 5 जून से 15 जून के बीच नर्सरी बना लेते हैं तो इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.
धान की नर्सरी बहुत बड़ी एरिया में नहीं बनाई जाती है. 20*30 फिट की जगह भी पर्याप्त मानी जाती है. इसके लिए खेत की अच्छी जुताई कर मिट्टी को पूरी तरह से भुरभुरी बना लेना चाहिए. अब मिट्टी में गोबर से बनी खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाकर पाटा चला लें. इसके बाद खेत में 1 मीटर चौड़ाई वाली क्यारियां बना लें ताकि पानी देने में आसानी हो. अब इन्हीं क्यारियों में बीज भर दीजिए. इससे पहले अच्छी क्वालिटी के बीज खरीदें और उन्हें बुवाई से 48 घंटे पहले पानी में भिगो लें और बाहर निकालें. बीज अंकुरित होने के बाद ही क्यारियों में भरें.
ये भी पढ़ें: 3 किलो का एक आम, स्वाद और खुशबू में सबसे अलग, खरीदने के लिए करानी होती है बुकिंग, जानिए किस्म का नाम
नर्सरी तैयार करने के बाद इसकी देखभाल भी बहुत जरूरी है. बुवाई के 24 घंटे बाद शाम के वक्त इसकी पहली सिंचाई करें. धान के नर्सरी में नमी सूखने ना दें अच्छी सिंचाई करते रहें हालांकि खेत भरना नहीं चाहिए. बुवाई के 6 दिनों के बाद 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 0.3-0.6 किलोग्राम नाइट्रोजन डालें इससे पौधों को ग्रोथ मिलेगी. क्यारियों में बैठकर अनावश्यक उगने वाली घास या खरपतवार की सफाई करते रहना चाहिए.
धान की नर्सरी तैयार होने में लगने वाला समय 18-30 दिन बताया जाता है. जो अलग-अलग बीज किस्मों पर निर्भर है. जब पौध लगभग 6 इंच के हो जाएं तो इन्हें जड़ के साथ उखाड़ कर खेत में रोप देना चाहिए. इस तरीके से देखभाल करने के बाद पौध की गुणवत्ता बेहतर रहेगी. बाकि जरूरी देखभाल धान के खेत की कीजिए.