चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा फल मक्खी प्रबंधन के समाधान के लिए कम कीमत का फ्रूट फ्लाई ट्रैप विकसित किया गया है. बागवानी फसलों पर कीटों के कारण काफी नुकसान और इसकी गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.बी आर काम्बोज ने ट्रैप का शुभारंभ करते हुए कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी. कुलपति प्रो. काम्बोज ने कहा कि शोध एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. कीटनाशकों के प्रयोग को कम करके ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने और इसके बढ़ते खर्चे को कम करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है.
हरियाणा में बागवानी फसलों व सब्जियों का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है. इन फसलों पर कई तरह के कीट नुकसान पहुंचाते हैं. इनमें मुख्य रूप से फल मक्खी का आक्रमण सबसे अधिक होता है. यह अकेले 90 से 100 प्रतिशत अमरूद, 85 से 90 प्रतिशत किन्नू, 80 प्रतिशत नाशपाती, 78 प्रतिशत आड़ू और 30 प्रतिशत तक आम की फसल में नुकसान कर सकती है. कुलपति प्रोफेसर काम्बोज बताया कि फल मक्खी तरबूज, खरबूजा, खीरा, तोरई, करेला, कद्दू और परवल जैसी फसलों में किसानों को 30 से 80 प्रतिशत तक उत्पादन की हानि उठानी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इस ट्रैप के उपयोग से कीटनाशकों पर निर्भरता घटेगी, किसानों की लागत कम होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सुरक्षित फल और सब्जियां उपलब्ध हो सकेंगी.
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि इस ट्रैप की कीमत 130 रुपए प्रति ट्रैप रखी गई है. इसके साथ उपयोग होने वाला सेप्टा 100 रूपए प्रति नग उपलब्ध है. एक एकड़ फसल में 14 से 16 ट्रैप लगाने की सिफारिश की जाती है. उन्होंने बताया कि इस ट्रैप को खेत में टहनी या खूंटी पर आसानी से लगाया जा सकता है. सेप्टा को समय-समय पर बदलकर प्रयोग में लाया जा सकता है. कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुनीता यादव ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि बागवानी फसलों में ट्रैप लगाने से फल मक्खी के नर कीट ट्रैप में फस कर मर जाते हैं, और प्रजनन क्रिया कम होने से इस कीट की संख्या घट जाती है. इस कीट के प्रोढ़ (नर व मादा) का जीवन चक्र काफी दिनों का होता है, इसलिए इन्हें ट्रैप द्वारा पकड़ना प्रभावी रहता है.
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हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग हेड मक्खी प्रबंधन डा. सुनीता यादव ने बताया कि आज फलो और सब्जियों का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है, जिनपर अलग अलग तरह के कीट नुकसान पहुंचाते हैं. फल मक्खी फलो की नुकसान पहुचाती है जिससे आम किन्नू, नीबू, आडू और अमरुद सहित अन्य फलों को नुकसान करती है. ये मक्खी फल के छिलके के नीचे अंडे देती है और फलों के गुदो को खाती है. फलो में बैक्टीरिया फैल जाते है. फल सड़ने लगता है और फल पकने से पहले जमीन पर गिर जाता है. उन्होंने कहा कि मार्च-अप्रैल से नवंबर-दिसंबर तक अलग अलग फसलों पर नुकसान पहुंचाता है.
इसके लिए फूट फाइट ट्रैक बनाया गया है इसमें ट्रेप बोलत के अंदर लगाया है जिसमें नर को फीमेल की खुशबू आती है ये आकर्षित हो कर उनकी ओर बढ़ते हैं और पांच से छह हजार की संख्या में अंदर एकत्रित हो जाते हैं. इसकी कीमत बोलत सहित 130 रुपये है. किसानों को कोई नुकसान नही है मित्र कीट सुरक्षित रहते हैं. चौदह से सोलह ट्रेप एक एकड में लगाने होते हैं.इसे लगाने के लिए छाया वाली जगह और एक से डेढ़ मीटर की ऊंचाई पर लगाना चाहिए। इसके तरीके इस पर लिखित जानकारी दी गई है.
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