सब्जियों में लहसुन की भूमिका काफी अहम होती है. इसलिए लहसुन का इस्तेमाल हर घर में मसाले के तौर पर किया जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार लहसुन की बुवाई का सबसे सही समय सितंबर से अक्टूबर तक माना जाता है. लागत कम और मुनाफा ज्यादा होने के कारण लहसुन को नकदी फसल भी कहा जाता है. यही वजह है कि आजकल अधिकतर किसान इसकी खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में अगर किसान इन 7 बातों का ध्यान रखकर इसकी खेती करें, तो बंपर पैदावार का लाभ ले सकते हैं.
मिट्टी का रखें ध्यान: लहसुन के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी का pH स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए. वहीं, बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए.
बीज के चयन का रखें ध्यान: लहसुन की बुवाई से पहले ये ध्यान रखें कि उच्च क्वालिटी वाले बीज यानी (कली) का चयन करें. साथ ही ये ध्यान रखें कि 8-10 ग्राम वजन की कलियां बुवाई के लिए बेस्ट मानी जाती हैं.
बुवाई के समय का रखें ध्यान: जिन किसानों को लहसुन की खेती करनी है वो इसी महीने बुवाई करें. क्योंकि ये समय अधिक ठंडा या अत्यधिक गर्म नहीं है. यानी ये मौसम से बुवाई के लिए उपयुक्त है.
बीज से बीज की दूरी का ध्यान: किसानों को बुवाई करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि कलियों को 10-12 सेमी की दूरी पर लगाएं और पंक्तियों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें.
सिंचाई का रखें ध्यान: लहसुन की फसल को पानी की जरूरत होती है. इसलिए ये समय खेती के लिए उपयुक्त है. लेकिन ये ध्यान रखें कि फसलों में जलभराव न हो. वहीं, नियमित अंतराल पर हल्की सिंचाई करें, विशेषकर बुवाई के बाद पहले 30 दिन तक सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है.
उर्वरक का रखें ध्यान: लहसुन की खेती में जैविक खाद का उपयोग करें, जैसे कि खेतों में गोबर की खाद डालें. इसके साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें.
कीट और रोग नियंत्रण: लहसुन की फसल में सफेद मक्खी और फफूंद का खतरा बना रहता है. ऐसे में ध्यान रखें कि अन्य दवाइयों की जगह जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें. साथ ही समय-समय पर फसल की जांच करते रहें.
लहसुन की बुवाई के लिए सितंबर महीना सबसे सही माना जाता है. इस महीने में मौसम में परिवर्तन होने के साथ ही हल्की ठंडक का एहसास होने लगता है. लहसुन की फसल के लिए ठंडा मौसम फायदेमंद माना जाता है. इस दौरान लहसुन की बुवाई करने पर फसल को उगाने के लिए आवश्यकतानुसार समय मिल जाता है. साथ ही फसल अच्छी तरह से ग्रोथ भी करती है. जिससे पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी होती है.